काबुल: तालिबान महिलाओं के लिए काफी बुरा माना जाता है। एक बार फिर तालिबान के सर्वोच्च नेता ने सार्वजनिक रूप से महिलाओं को पत्थर मारकर हत्या करने की कसम खाई है। इसके साथ घोषणा की है कि पश्चिमी लोकतंत्र के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। तालिबानी नेता मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा ने पश्चिमी देशों को संबोधित करते हुए सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित एक आवाज संदेश में कहा, ‘जब हम महिलाओं को पत्थर मारकर मार देते हैं तो आप इसे महिला अधिकारों का उल्लंघन बताते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन जल्द ही हम व्यभिचार के लिए यह सजा लागू करेंगे। हम महिलाओं को सरेआम कोड़े मारेंगे। हम उन्हें पब्लिक में पत्थर मार-मारकर मार डालेंगे।’ अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया। सत्ता में आने के बाद यह तालिबान की ओर से जारी की गई सबसे कठोर धमकियों में से एक है। अखुंदजादा ने कहा, ‘ये सब आपके लोकतंत्र के खिलाफ हैं, लेकिन हम ऐसा करना जारी रखेंगे। हम दोनों कहते हैं कि हम मानवाधिकार की रक्षा करते हैं।’
अखुंदजादा ने कहा, ‘हम मानवाधिकार की रक्षा ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में करते हैं और आप शैतान के प्रतिनिधि के तौर पर।’ अखुंदजादा की कुछ पुरानी तस्वीरों के अलावा शायद ही कभी उसे सार्वजनिक तौर पर देखा गया हो। माना जाता है कि अखुंदजादा तालिबान के गढ़ दक्षिणी कंधार में है। अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान ने अधिक उदार शासन का आश्वासन दिया था। लेकिन तालिबान एक बार फिर अपने कठोर सार्वजनिक दंडों पर वापस लौट आया है। यह उसके 1990 के दशक के अंत वाले शासनकाल की याद दिलाता है।
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पब्लिक में दी जाने वाली सजाओं की बात करें तो इसमें फांसी और कोड़े मारना शामिल था। संयुक्त राष्ट्र इन कार्रवाइयों की आलोचना करता रहा है और तालिबान से ऐसी प्रथाओं को बंद करने का आग्रह किया है। अपने संदेश में अखुंदजादा ने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से वकालत की गई महिला अधिकारों की बात तालिबान के इस्लामी शरिया कानून के सख्त खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘क्या महिलाएं वो अधिकार चाहती हैं, जिसके बारे में पश्चिमी लोग बात करते हैं। यह शरिया और मौलवियों की राय के खिलाफ है। मौलवियों ने पश्चिमी लोकतंत्र को उखाड़ फेंका।