देहरादून: उत्तराखंड में जानवर और इंसानी जान के लिए 48 घंटे बेहद चौंकाने वाले गुजरे हैं. जानवरों के हमले से कई लोगों की जान चली गई है. जानवरों को भी परेशान होते हुए देखा गया है. देहरादून से लेकर हरिद्वार और रामनगर से लेकर बागेश्वर तक हर जगह जंगली जानवर और इंसान की भिड़ंत की खबरें सामने आई हैं. इसके पीछे छोटे जानवरों का बाहर ना आना और शिकार करने में सक्षम न होने वाले जानवर हैं.
बीते समय में उत्तराखंड में सबसे पहली घटना नैनीताल जिले के रामनगर से सामने आई. यहां पर 8 जनवरी की रात सूचना मिली कि जंगल में लकड़ी लेने गई एक महिला अब तक नहीं लौटी है. घटना की जानकारी परिवार ने आसपास के लोगों को दी. जंगल में महिला के शरीर के टुकड़े मिले, जिससे कयास लगाए जाने लगे कि महिला को किसी जानवर ने अपना निवाला बनाया है.
वन विभाग ने जब सर्च अभियान चलाया, तो पुष्टि हुई कि मृतक शांति देवी को बाघ ने अपना निवाला बनाया है. इसके बाद ग्रामीणों ने ना केवल विरोध जताया, बल्कि जिस बाघ ने हमला किया है, उसको पकड़ने की मांग और पिंजरा लगाने जैसे विकल्प पर भी स्थानीय लोगों ने विभाग को घेरा. लोगों में इतना गुस्सा था कि वन विभाग की टीम भी इसका शिकार हो गई. स्थानीय निवासियों ने कर्मचारी की पिटाई कर दी.
रामनगर में देचौरी रेंज के आसपास से बुजुर्ग भुवन चंद्र बेलवाल के लापता होने की सूचना मिली, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा हो गया. सर्च अभियान चलाने पर पता चला कि बुजुर्ग भुवन चंद्र बेलवाल की मौत बाघ के हमले से हुई है. इससे पहले 38 वर्षीय प्रेम को भी बाघ ने मौत के घाट उतारा था. कुल मिलाकर बीते तीन दिनों के अंदर रामनगर क्षेत्र में तीन लोगों को बाघ ने अपना निवाला बनाया है.
रामनगर रेंज डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि बीते कुछ घंटे में अलग-अलग घटनाओं के बाद ऐसी जगह पर सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश यही है कि जल्द से जल्द इस बाघ को पकड़ लिया जाए, ताकि आगे कोई भी घटना ना हो.
डोईवाला क्षेत्र में जंगल में घास लेने गए पति-पत्नी को टस्कर हाथी ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया था. मृतकों की पहचान राजेंद्र पवार और सुशीला देवी के रूप में हुई. घटना के बाद हाथी देहरादून हरिद्वार नेशनल हाईवे पर भी उत्पात मचाते नजर आया.
रुड़की के बुगावाला क्षेत्र में अपने परिवार की एक महिला को अस्पताल से दिखाकर घर लौट रहे एक व्यक्ति को हाथी ने पटक-पटक कर मौत के घाट उतार दिया था. मृतक की पहचान सोमपाल सिंह उम्र 55 साल के रूप में हुई. वहीं विभाग भी लगातार लोगों से जंगली जानवरों और जंगल से थोड़ी दूरी बनाकर रखने की अपील कर रहा है.
चंपावत क्षेत्र में एक टाइगर का शव मिलने से वन विभाग बेहद परेशान है. चंपावत जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूरी पर 9 जनवरी के दिन टाइगर का शव बरामद हुआ था. चंपावत डीएफओ नवीन पंत ने बताया कि जिस तरह से सिर और आसपास में चोट के निशान हैं, उससे यह लगता है कि किसी जानवर या टाइगर से ही उसकी भिड़ंत हुई है और आपसी संघर्ष में यह मारा गया है. हालांकि जांच के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि टाइगर की मौत कैसे और कब हुई है.
उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय द्वारा चंपावत में घटी इस घटना के बाद कुछ और कदम भी उठाए जा रहे हैं. जैसे बाघ और टाइगर की सुरक्षा के लिए अपर प्रमुख वन संरक्षण डॉक्टर विवेक पांडे ने निर्देश दिए हैं कि शिकारी कुत्तों की मदद के द्वारा शिकारी से बाघ और गुलदार जैसे जानवरों की सुरक्षा की जाएगी, क्योंकि चंपावत में जिस तरह से टाइगर की बॉडी मिली है, उसके बाद विभाग अभी ज्यादा कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन हर पहलू पर नजर बनाकर आगे की जांच की जा रही है.
हरिद्वार के लक्सर रोड पर स्थित जगजीतपुर, मिश्रपुर और नूरपुर जैसे क्षेत्रों में शाम 5 बजे के बाद ही हाथियों का झुंड लगातार शहरी इलाकों में दिखाई दे रहा है. डोईवाला में घटी घटना के बाद यहां के स्थानीय लोग भी डरे हुए हैं. वहीं, कोहरे की वजह से सामने वाले व्यक्ति को देखना मुश्किल है. ऐसे में कई बार एक विशाल हाथी लोगों के सामने आ चुका है.
पूर्व आईएफएस अधिकारी सनातन सोनकर ने बताया कि सर्दियों में जानवरों के सामने कई तरह की दिक्कतें आ जाती हैं. अगर बाघ इंसानों को मार रहा है, तो उसकी दो वजह हो सकती हैं. एक वजह उसकी ये है कि सर्दियों के मौसम में छोटे जानवर अमूमन अपने बिलों से बाहर नहीं निकलते हैं और खाने-पीने की समस्या के चलते गुलदार या अन्य जानवर शहर की तरफ आते हैं. अगर शहर के आसपास के जंगल में उन्हें कोई भी इंसान दिखता है, तो वह उस पर हमला करते हैं. हाल ही में जो घटना हुई है, वह उसका प्रमाण है. लिहाजा लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी.
सनातन सोनकर ने बताया कि दूसरा कारण ये भी है कि अमूमन इस तरह के हमले वही जानवर करते हैं, जो शिकार करने में सक्षम नहीं होते, जिनके नाखून या दांत टूट जाते हैं. ऐसे में वह भी इंसानों को सॉफ्ट टारगेट समझकर उन पर हमला करते हैं. राजाजी नेशनल पार्क में हाथियों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि चारे के लिए भी एक हाथी दूसरे हाथी को जंगल से धकेलना चाहता है.
उन्होंने कहा कि अत्यधिक संख्या की वजह से हाथी जंगल छोड़कर शहर की तरफ आ रहे हैं. 1972 प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन होना चाहिए और वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के साथ-साथ वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट एक्ट होना जरूरी है, क्योंकि जानवरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि जानवरों के रहने वाले जंगल सिकुड़ रहे हैं.