देहरादून: उत्तराखंड अगले हफ्ते समान नागरिक संहिता लागू करने जा रहा है। वह ऐसा करने वाला पहला राज्य होगा। सूत्रों ने बताया, समान नागरिक संहिता पर जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति एक-दो दिन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार विधानसभा का सत्र बहाल करेगी। सूत्रों ने बताया, दिवाली के बाद सत्र बुलाए जाने की संभावना है। इस विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता संबंधी विधेयक पारित किया जाएगा और इसे कानूनी जामा मिल जाएगा। इसी साल जून में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा था कि उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार कर लिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, यूसीसी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा कर लिया है। देहरादून स्थित दफ्तर से सामान समेटने की कवायद भी शुरू हो गई है। इस संबंध में यूसीसी कार्यालय के अपर सचिव भी गृह विभाग से कार्यालय का सामान वापस लेने की प्रक्रिया के लिए एक नोडल अफसर नियुक्त करने का अनुरोध कर चुके हैं।
सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बिल मौजूदा सत्र में ही पारित कराया जाएगा। गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने शीघ्र विधानसभा का सत्र बहाल करने की घोषणा की थी।
उत्तराखंड के विधायी कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा, विस का सत्रावसान नहीं हुआ है। अभी स्थगित है और कभी भी सत्र बहाल किया जा सकता है। इस सत्र में हम प्रवर समिति की सिफारिशों की रिपोर्ट पेश करेंगे। सत्र में यूसीसी के संबंध में भी विधेयक आ सकता है।
जस्टिस देसाई ने यह भी बताया था कि समान नागरिक संहिता के मसौदे के साथ ही विशेष समिति की रिपोर्ट को प्रिंट कराया जाएगा और उसके बाद उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा। जस्टिस देसाई सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। सूत्रों ने आगे बताया, उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता लागू कर सकता है।