देहरादून। भाजपा ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को बेहतर बताते हुए कांग्रेस पर ओल्ड पेंशन को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है । प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि अंतिम सैलरी के 50 फीसदी पेंशन देने से कर्मचारियों के चेहरे पर आई मुस्कान कांग्रेस को हजम नही हो रही है । कई राज्यों में कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाकर सत्ता में तो आई लेकिन ओल्ड पेंशन वापिस नही ला पायी है।
भट्ट ने सरकारी कर्मचारियों के मुद्दे पर विपक्ष समेत सभी प्रभावित पक्षों से राष्ट्रहित में इसे खुले मन से विचार करने का आग्रह किया है। किसी भी प्रकार के राजनैतिक दुराग्रहों से बचते हुए, गुण दोष के आधार पर योजना को स्वीकारने की जरूरत है। लेकिन यह अफसोसजनक है कि राजनैतिक लाभ के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की बात करने वाली कांग्रेस को यूनिफाइड पेंशन के बारे में अधिक जानकारी तक नही है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम 2004 से लागू न्यू पेंशन स्कीम को लेकर बहुत से कर्मचारियों को आपत्ति थी जिसको दूर करने के लिए सरकार लंबे समय से गंभीरतापूर्वक विचार कर रही थी । कर्मियों की चिंता और देश की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों मे सामंजस्य बिठाते हुए एनडीए सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दी है। एक अप्रैल 2025 से लागू होने वाली इस UPS योजना से सीधे सीधे 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ होगा और UPS का राज्य सरकारों द्वारा चुनने से लाभान्वित कर्मचारियों की संख्या 90 लाख के पार पहुंच सकती है।
उन्होंने कहा कि कोई भी विपक्ष के झूठ में नही फंसने वाला नही है । क्योंकि इसमें अब सरकार अपनी तरफ से कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 18.5 % कॉन्ट्रिब्यूट करेगी, वहीं कर्मचारी के 10% हिस्से में कोई बदलाव नहीं होगा । सरकार द्वारा NPS की तरह इसे बाजार के भरोसे न छोड़कर इसमें फिक्स पेंशन की एश्योरटी दी गई है, जो अंतिम सैलरी के 50 फीसदी होगी। जिसके लिए न्यूनतम 25 वर्ष की सेवा देनी होगी। जिससे हम कह सकते हैं कि यूपीएस में ओपीएसऔर एनपीएस दोनों के लाभ शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि महत्वपूर्ण ये है कि एनपीएस के तहत 2004 से अब तक रिटायर हो चुके और अब से मार्च, 2025 तक रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। जो पैसा उन्हें पहले मिल चुका है या वे फंड से निकाल चुके हैं, उससे एडजस्ट करने के बाद भुगतान किया जाएगा। कर्मचारी हित में केंद्र सरकार की तरफ से बढ़ाए गए कॉन्ट्रिब्यूशन से पहले साल 6250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा, जो साल दर साल बढ़ता भी रहेगा।
भट्ट ने कहा कि लंबे समय से कर्मचारियों के एक तबके की चली आ रही मांगों पर संवेदनशीलता दिखाते हुए एनडीए सरकार ने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है । उन्होंने समाज के सभी पक्षों विशेषकर राजनैतिक दलों से अपील की है कि खुले मन से राष्ट्रहित में इस स्कीम को स्वीकारें।