नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन जंग की आग अब और भड़कती जा रही है. रूस और यूक्रेन में अब कांटे की टक्कर होने लगी है. एक ओर जहां यूक्रेन ताबड़तोड़ रूस में घुस रहा है तो दूसरी ओर पुतिन बमबारी कर रहे हैं. किसी को यह अंदाजा नहीं कि आखिर यह विनाशलीला कब खत्म होगी. हालांकि, रूस-यक्रेन के बीच जंग खत्म कराने की कोशिशों में भारत जुटा है. इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमीर जेलेंस्की ने भी भारत के सुर में सुर मिलाया है.
जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ युद्ध का अंत बातचीत से ही होगा. मगर इसके लिए यूक्रेन को मजबूत स्थिति में होना जरूरी है. वह पुतिन की शर्तों पर सीजफायर नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि उनके पास शांति का प्लान है. जेलेंस्की ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके दो संभावित उत्तराधिकारियों मसलन कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप सामने यह प्लान रखेंगे. बता दें कि भारत भी कहता रहा है कि रूस-यूक्रेन जंग का अंत बातचीत से ही संभव है.
रॉयटर्स के मुताबिक, रूस-यूक्रेन जंग पर जेलेंस्की ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि रूस के कुर्स्क क्षेत्र में तीन सप्ताह पहले शुरू की गई यूक्रेनी सेना की कार्रवाई इसी प्लान यानी योजना का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि इस प्लान में आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर भी कई कदम उठाए जाने हैं. उन्होंने कहा, ‘इस प्लान का मुख्य मकसद रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर करना है. और मैं चाहता हूं कि ऐसा हो, जो यूक्रेन के लिए उचित हो.’ बता दें कि फरवरी 2022 से ही रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है.
हालांकि, उन्होंने अपने प्लान के बारे में डिटेल से तो नहीं बताया मगर इतना जरूर कहा कि वह इस प्लान पर डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और शायद रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से भी चर्चा करेंगे. बता दें कि इन दोनों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर चल रही है. जेलेंस्की ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए अमेरिका जाएंगे. इस दौरान वह बाइडेन से मिलेंगे. यहीं पर वह बाइडन, कमला और डोनाल्ड ट्रंप से अपने प्लान को शेयर करेंगे.
जेलेंस्की के इस बयान से यह संकेत मिल रहा है कि यूक्रेन इंटरनेशनल पीस समिट को बातचीत के लिए संभावित मंच के रूप में देखते हैं. यूक्रेन चाहता है कि फ्यूचर में होने वाले पीस समिट में रूस भी शामिल हो. बता दें कि रूस-यूक्रेन जंग पर पहला शांति शिखर सम्मेलन यानी पीस समिट जून महीने में स्विटजरलैंड में आयोजित किया गया था. इसमें रूस को शामिल नहीं किया गया था, जबकि भारत समेत करीब 90 देश शामिल हुए थे. चीन और पाकिस्तान भी इस पीस समिट में शामिल नहीं हुए थे.
वहीं, रूस का कहना है कि अब बातचीत का कोई सवाल ही नहीं उठता है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 19 अगस्त को कहा था कि यूक्रेन द्वारा 6 अगस्त को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में बड़ा सीमा पार हमला करने के बाद बातचीत का तो सवाल ही नहीं उठता. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले हफ्ते कीव की यात्रा पर थे. उन्होंने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और उन्हें बताया कि वह यूक्रेन संघर्ष के जल्द और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं.
इधर, जेलेंस्की का कहना है कि रूस जंग के खात्मे के लिए यूक्रेन पर अपनी शर्तें थोपना चाहता है, जिसे कीव किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं कर सकता. वहीं, पुतिन का कहना है कि किसी भी समझौते की शुरुआत यूक्रेन को जमीन हकीकत स्वीकार करने के साथ होनी चाहिए, जिसका मतलब होगा कि रूस के पास यूक्रेन के चार क्षेत्रों के बड़े हिस्से और क्रीमिया का कब्जा रहेगा. वहीं यूक्रेन का कहना है कि उसने रूस के कुर्स्क क्षेत्र के 1200 वर्ग किलोमीटर (463 वर्ग मील) से अधिक इलाके पर कब्जा कर लिया है.
जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘पुतिन के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता. आज बातचीत सिद्धांत रूप में खाली और व्यर्थ है, क्योंकि वह कूटनीतिक तरीके से युद्ध समाप्त नहीं करना चाहता.’ उन्होंने कहा कि कुर्स्क क्षेत्र में हमारे आक्रमण ने दुनिया भर में उन सरकारों की संख्या कम कर दी है, जो यूक्रेन से युद्ध समाप्त करने और क्षेत्रों को छोड़ने के लिए रूस के साथ समझौता करने का आह्वान कर रही थीं. इतना ही नहीं, जेलेंस्की ने पुतिन का मजाक उड़ाया और कहा कि रूस अपने क्षेत्र की रक्षा करने की बजाय यूक्रेनी जमीन पर कब्जा करने को प्राथमिकता दे रहे हैं.