वॉशिंगटन: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताजा रिपोर्ट में डिफेंस इंडस्ट्री को लेकर कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। सिप्री की नई रिपोर्ट देखने से थोड़ा हैरान होंगे। क्योंकि 2010 से 2019 की तुलना में वैश्विक हथियार बाजार स्थिर हो गया है। लेकिन हथियार बाजार में कुछ दिलचस्प बदलाव देखने को मिले हैं। जब आप लिस्ट में अलग अलग देशों पर नजर डालेंगे तो आप हथियार खरीदने के मामले में यूक्रेन को भारत से आगे पाएंगे। जाहिर सी बात है कि रूस के खिलाफ चल रहे जंग ने यूक्रेन को हथियार खरीदने पर मजबूर किया है, लेकिन वो भारत से आगे निकल जाएगा, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था।
SIPRI की रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि भारी हथियारों की खरीद में यूक्रेन दुनिया में सबसे आगे रहा है। साल 2015-2019 की तुलना में यूक्रेन ने हथियार खरीदने के मामले में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि की है। SIPRI की रिपोर्ट से पता चलता है कि यूक्रेन ने हथियार खरीदने के मामले में यूक्रेन का प्रतिशत 8.8 रहा है, जबकि भारत का प्रतिशत 8.3 रहा है। यानि हथियार खरीदने के प्रतिशत के मामले में यूक्रेन ने भारत को पछाड़ दिया है। SIPRI के मुताबिक हथियार खरीदने वाले 5 देशों में सबसे ऊपर यूक्रेन, फिर भारत, फिर कतर, उसके बाद सऊदी अरब और पांचवें नंबर पर पाकिस्तान है।
हथियार बाजार को खंगालने से पता चलता है कि यूरोपीय देशों में हथियार खरीदने की दर में जबरदस्त उछाल आया है। साल 2020–24 के दौरान यूरोपीय देशों के हथियार आयात में 155 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके पीछे दो बड़ी वजहे हैं। एक तो यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को लेकर सामने आया डर और दूसरी वजह अमेरिका से यूरोपीय देशों का बढ़ता अविश्वास है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि यूक्रेन युद्ध का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका को हुआ है। अमेरिका ने इस दौरान जनकर हथियार बेचे हैं। हथियार बेचने के मामले में अमेरिका का 2020-24 के दौरान प्रतिशत 43 रहा है। वहीं फ्रांस ने इस दौरान 9.6 प्रतिशत हथियार बेचे हैं। तीसरे नंबर पर रूस का स्थान है, जिसने 7.8 प्रतिशत हथियार बेचे, जबकि चौथे नंबर पर चीन का स्थान है, जिसने 5.9 प्रतिशत हथियार बेचे। चीन के बाद जर्मनी का स्थान है, जिसने 5.6, इटली 4.8 प्रतिशत, यूके 3.6 प्रतिशत, इजरायल 3.1 प्रतिशत, स्पेन 3 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया 2.2 प्रतिशत का स्थान है।
इस रिपोर्ट को देखने से सबसे पहली बात ये जेहन में आती है कि डोनाल्ड ट्रंप के यूक्रेन को हथियार बेचने पर रोक लगाने से युद्ध पर कितना गंभीर असर पडे़गा। साल 2020 से 2024 के बीच की अवधि में दुनिया भर में हथियार खरीदने वाले टॉप-10 देशों में सिर्फ यूक्रेन ही एकमात्र यूरोपीय देश है, लेकिन बाकी के यूरोपीय देशों ने भी हथियार खरीदने में भारी भरकम खर्च किए हैं। SIPRI आर्म्स ट्रांसफर प्रोग्राम के सीनियर रिसर्च फेलो पीटर वेज़मैन ने कहा, कि “डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रूस की आक्रामकता और NATO से तनावपूर्ण संबंधों ने यूरोप को हथियार आयात करने पर मजबूर किया।
यूरोपीय देशों ने अब यूरोपीय हथियार इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं।” उन्होंने कहा कि “लेकिन ट्रान्साटलांटिक हथियार-आपूर्ति संबंधों की जड़ें बहुत गहरी हैं। अमेरिका से हथियार आयात बढ़ गया है और यूरोपीय नाटो देशों के पास अभी भी अमेरिका से लगभग 500 लड़ाकू विमान और कई दूसरे हथियारों के ऑर्डर हैं।”
वहीं दुनिया के टॉप हथियार खरीदने वाले देशों में सबसे ऊपर यूक्रेन है, जिसने 8.8 प्रतिशत हथियार खरीदे हैं। फिर भारत का स्थान है, जिसका हथियार खरीदने का वैश्विक प्रतिशत 8.3 है। फिर कतर का स्थान है, जिसका प्रतिशत 6.8, सऊदी अरब 6.8 प्रतिशत, पाकिस्तान 4.6 प्रतिशत, जापान 3.9 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया 3.5 प्रतिशत, मिस्र 3.3 प्रतिशत, अमेरिका 3.1 प्रतिशत और कुवैत 2.9 प्रतिशत का स्थान है।