अंकारा: एशिया में तुर्की के हथियार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। तुर्की अभी तक ड्रोन की सप्लाई कर रहा था। लेकिन अब इसके टैंक भी एशिया में आने लगे हैं। इंडोनेशियाई सेना ने इस महीने की शुरुआत में तुर्की के सहयोग से बने मध्यम वजन के टैंकों को सेना में शामिल किया है।
तुर्की में इंडोनेशिया के दूतावास ने एक घोषणा की, जिसके मुताबिक इंडोनेशियाई रक्षा मंत्री और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने दस टैंक सेना को सौंपे। इसे कपलान या टाइगर के नाम से जाना जाता है। घोषणा में कहा गया कि इंडोनेशियाई कंपनी पीटी पिंडड और तुर्की की कंपनी FNSS ने टैंक बनाने के लिए सहयोग किया।
इंडोनेशिया का यह कदम सीधे तौर पर तुर्की की डिफेंस टेक्नोलॉजी को मान्यता देता है। तुर्की और इंडोनेशिया ने संयुक्त रूप से मध्यम वजन वाले टैंक के विकास और उत्पादन के लिए 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते में दो प्रोटोटाइप टैंकों के डिजाइन और निर्माण के प्रोविजन शामिल थे।
इस समझौते में यह निर्धारित किया गया था कि इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट (IPR) दोनों पक्षों के होंगे। प्रोटोटाइप की टेस्टिंग 2017 में शुरू की गई थी। टैंको का पहला बैच मार्च 2022 में इंडोनेशिया की सेना को दिया गया था।
तुर्की मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक टाइगर टैंक की बिक्री पहला विदेशी सौदा है। कपलान एमटी या हरिमाउ एक आधुनिक मध्यम-वजन वाला टैंक है, जिसे उच्च स्तर की घातकता के साथ असाधारण टैक्टिकल मोबिलिटी के लिए डिजाइन किया गया है।
FNSS के मुताबिक ‘ये बख्तरबंद वाहन मुख्य युद्ध टैंक और हल्के बख्तरबंद वाहनों के बीच की दूरी खत्म कर देंगे। ये आधुनिक सैन्य अभियानों के लिए संतुलित समाधान पेश करेंगे।’ इंडोनेशिया की ओर से यह भी बताया गया है कि वह TUSAS के साथ 12 ANKA ड्रोन भी बना रहा है।
यह घोषणा एशियाई बाजार में तुर्की के बढ़ते कदम को दिखाता है। बढ़ती वैश्विक मांग और दुनिया भर में चल रहे संघर्षों के बीच तुर्की के रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिला है। यह अपने ड्रोन के साथ आगे बढ़ रहा है। तुर्की की कंपनिया दूसरे देशों के साथ हथियार बनाने से जुड़ी साझेदारी कर रही है।
इसमें पांचवीं पीढ़ी के कान युद्धक विमान, एल-400 लाइट एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल हैं। यह एयरक्राफ्ट कैरियर दुनिया का पहला है, जो ड्रोन के लिए बनाया गया है। इससे छोटे एशियाई देशों की दिलचस्पी इसमें बढ़ी है। तुर्की के ड्रोन हाल ही में मालदीव ने खरीदे हैं। पाकिस्तान भी तुर्की के हथियार खरीद चुका है। यूक्रेन युद्ध में प्रदर्शन के कारण तुर्की के ड्रोन की सेल बढ़ गई है।