नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवॉर को मैक्सिको, कनाडा और चीन के साथ ट्रेड वॉर का एलान कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति पद संभालते ही मैक्सिको व कनाडा से अमेरिका के बाजार में आने वाली सभी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगेगा और चीन से आने वाली सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
ट्रंप जनवरी के तीसरे सप्ताह में सत्ता संभालने वाले हैं। ट्रंप के इस फैसले से भारतीय निर्यात को बड़ा फायदा हो सकता है क्योंकि अमेरिका के कुल आयात में इन तीन देशों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। चीन ने अमेरिका को पिछले वर्ष 448 अरब डॉलर का तो मैक्सिको ने 457 अरब डॉलर का निर्यात किया। जबकि भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 437 अरब डॉलर का रहा।
भारत ने गत वित्त वर्ष में अमेरिका को 82 अरब डॉलर का निर्यात किया था। आयात शुल्क लगने से अमेरिका के बाजार में चीन, मैक्सिको व कनाडा के उत्पाद महंगे हो जाएंगे जिससे उनकी मांग वहां कम हो सकती है। इससे भारत को इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स, लेदर, अपैरल, मशीनरी व खिलौना जैसे कई उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का मौका मिलेगा क्योंकि भारतीय वस्तुएं अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पाद के मुकाबले सस्ती होंगी।
दूसरी तरफ मैक्सिको अमेरिका में सबसे अधिक कार व ऑटोमोबाइल पार्ट्स वगैरह का निर्यात करता है। जानकारों का कहना है कि हुंडई, होंडा, निसान जैसी कंपनियां भारत में अमेरिकी जरूरतों के हिसाब से कार का निर्माण करना शुरू कर सकती है क्योंकि भारत से कार निर्यात करना उनके लिए फायदेमंद होगा।
कनाडा मुख्य रूप से अमेरिका को पेट्रोलियम, गैस व खाद्य वस्तुओं का निर्यात अमेरिका को करता है। ऐसे में भारतीय कृषि पदार्थों के लिए भी अमेरिका के बाजार में नई संभावना दिख रही है। हालांकि चीन पिछले कई सालों से इस दिशा में काम कर रहा है कि शुल्क बढ़ने के बावजूद अमेरिका के बाजार में कैसे माल की सप्लाई जारी रहे।
रोजाना छह लाख जोड़ी फुटवियर उत्पादन की क्षमता वाली कंपनी वाकरू के संस्थापक व फुटवियर निर्यातक वी. नौशाद ने बताया कि ट्रंप के फैसले से निश्चित रूप से भारत के लिए मौका निकलेगा, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अमेरिका में पहले से चीन की कई कंपनियां उत्पादन कर रही है। वहीं, इंडोनेशिया, वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों में पिछले कई सालों से चीन की कंपनियां तेजी से स्थापित हो रही हैं और चीन इन देशों से अपना माल अमेरिका के बाजार में आसानी से भेज सकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के चेयरमैन अश्विनी कुमार ने बताया कि अमेरिकी बाजार में कई उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का मौका दिख रहा है, लेकिन इसमें सरकार को भी साथ देना होगा। कच्चे माल पर लगने वाले आयात शुल्क व अन्य इंसेंटिव का ध्यान रखना होगा।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवॉर को मैक्सिको, कनाडा और चीन के साथ ट्रेड वॉर का एलान कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति पद संभालते ही मैक्सिको व कनाडा से अमेरिका के बाजार में आने वाली सभी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगेगा और चीन से आने वाली सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
ट्रंप जनवरी के तीसरे सप्ताह में सत्ता संभालने वाले हैं। ट्रंप के इस फैसले से भारतीय निर्यात को बड़ा फायदा हो सकता है क्योंकि अमेरिका के कुल आयात में इन तीन देशों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। चीन ने अमेरिका को पिछले वर्ष 448 अरब डॉलर का तो मैक्सिको ने 457 अरब डॉलर का निर्यात किया। जबकि भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 437 अरब डॉलर का रहा।
भारत ने गत वित्त वर्ष में अमेरिका को 82 अरब डॉलर का निर्यात किया था। आयात शुल्क लगने से अमेरिका के बाजार में चीन, मैक्सिको व कनाडा के उत्पाद महंगे हो जाएंगे जिससे उनकी मांग वहां कम हो सकती है। इससे भारत को इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स, लेदर, अपैरल, मशीनरी व खिलौना जैसे कई उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का मौका मिलेगा क्योंकि भारतीय वस्तुएं अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पाद के मुकाबले सस्ती होंगी।
दूसरी तरफ मैक्सिको अमेरिका में सबसे अधिक कार व ऑटोमोबाइल पार्ट्स वगैरह का निर्यात करता है। जानकारों का कहना है कि हुंडई, होंडा, निसान जैसी कंपनियां भारत में अमेरिकी जरूरतों के हिसाब से कार का निर्माण करना शुरू कर सकती है क्योंकि भारत से कार निर्यात करना उनके लिए फायदेमंद होगा।
कनाडा मुख्य रूप से अमेरिका को पेट्रोलियम, गैस व खाद्य वस्तुओं का निर्यात अमेरिका को करता है। ऐसे में भारतीय कृषि पदार्थों के लिए भी अमेरिका के बाजार में नई संभावना दिख रही है। हालांकि चीन पिछले कई सालों से इस दिशा में काम कर रहा है कि शुल्क बढ़ने के बावजूद अमेरिका के बाजार में कैसे माल की सप्लाई जारी रहे।
रोजाना छह लाख जोड़ी फुटवियर उत्पादन की क्षमता वाली कंपनी वाकरू के संस्थापक व फुटवियर निर्यातक वी. नौशाद ने बताया कि ट्रंप के फैसले से निश्चित रूप से भारत के लिए मौका निकलेगा, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अमेरिका में पहले से चीन की कई कंपनियां उत्पादन कर रही है।
वहीं, इंडोनेशिया, वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों में पिछले कई सालों से चीन की कंपनियां तेजी से स्थापित हो रही हैं और चीन इन देशों से अपना माल अमेरिका के बाजार में आसानी से भेज सकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के चेयरमैन अश्विनी कुमार ने बताया कि अमेरिकी बाजार में कई उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का मौका दिख रहा है, लेकिन इसमें सरकार को भी साथ देना होगा। कच्चे माल पर लगने वाले आयात शुल्क व अन्य इंसेंटिव का ध्यान रखना होगा।