नेपीडॉ: म्यांमार में महीनों से जारी गृह युद्ध भीषण रूप लेता जा रहा है जिससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। रखाइन प्रांत में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं, जहां पर जुंटा के नेतृत्व वाले म्यांमार की सेना और जातीय विद्रोही समूहों के बीच जंग भीषण जंग छिड़ी हुई है।
सैन्य संघर्ष अब सांप्रदायिक तनाव में बदल गया है, जिसका खामियाजा इलाके में रह रहे समुदाय के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बुथीदौंग में बौद्धों और हिंदुओं के लगभग 5000 घरों को जला दिया गया है। बांग्लादेश की सीमा से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर स्थित इन 5000 घरों को सिर्फ इसलिए आग के हवाले किया गया क्योंकि वे बौद्धों और हिंदुओं के थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष के चलते ज्यादातर लोग पहले ही इलाका छोड़कर सुरक्षित क्षेत्रों में भाग गए हैं। इसके चलते कई घर खाली थे, लेकिन कुछ लोग अभी भी यहां रह रहे हैं। उनके सामने ही घरों को लूटा गया और फिर जलाया गया। सूत्र के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि इसके लिए जुंटा सेना द्वारा बांग्लादेश में रोहिंग्या शिविरों से भर्ती किए गए युवा लड़कों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हाल के दिनों में जुंटा सेना में सैनिकों की कमी से निपटने के लिए रोहिंग्याओं की भर्ती शुरू की है। ये वहीं रोहिंग्या है जिन्हें सैन्य शासन के दौरान अत्याचार सहना पड़ा था और लाखों रोहिंग्या अपना सबकुछ छोड़कर भाग गए थे।
इन घरों को 11 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच जलाया गया था। बुथीदौंग अब विद्रोही जाती समूह अराकान सेना के पूर्ण नियंत्रण में है। रिपोर्टों के अनुसार, बुथीदौंगा और मौंगदा में रहने वाले ज्यादातर स्थानीय मुसलमान सांप्रदायिक लड़ाई का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं। इनमें से कुछ ने सुरक्षित क्षेत्रों में जाने के लिए विद्रोहियों से मदद मांगी है।
एक सू्त्र के वाले से रिपोर्ट में बताया गया कि 2018 की जनगणना के अनुसार बुथीदौंग में सिर्फ 3000 घर थे, लेकिन आज ये संख्या बढ़कर 10000 हो गई है। कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरे इलाकों से अपना घर छोड़कर यहां बसेरा बना लिया है। यहां रहने वालों में 50 प्रतिशत से अधिक निवासी मुस्लिम हैं, जबकि शेष बौद्ध और हिंदू जातीय समूह हैं।
रखाइन म्यांमार के उन क्षेत्रों में है, जो सांप्रदायिक हिंसा से ज्यादा प्रभावित रहे हैं। एक दशक पहले यहां सांप्रदायिक तनाव भड़क गया था, जिसके कारण लाखों रोहिंग्याओं का पलायन हुआ। बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं ने पड़ोसी बांग्लादेश में शरण ली।
अनुमान है कि इस समय 10 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश में हैं। पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट आई थीं कि म्यांमार की जुंटा सेना में शरणार्थी शिविरों से रोहिंग्या युवकों को जबरन भर्ती कर रही है। इनमें से कुछ भागकर चले जाते हैं लेकिन बाकी लड़ाई में हिस्सा लेते हैं।