दोहा: गाजा में चल रही लड़ाई और ईरान-इजरायल के बीच हालिया दिनों में हुई तनातनी के बाद अमेरिका भी इस इलाके में चिंतित दिख रहा है। ईरान के आक्रामक रुख और क्षेत्र के बदलते हालात को देखते हुए अमेरिका ने अपने लड़ाकू विमानों, सशस्त्र ड्रोनों और दूसरे एयरक्राफ्ट कतर में तैनात करने का फैसला लिया है। यूएई और दूरे खाड़ी देशों से ये जेट कतर में ट्रांसफर किए जाएंगे।
इससे अमेरिकी सेनाओं को फिर से इन हथियारों को तैनात करने की अनुमति भी मिल जाएगी। संयुक्त अरब अमीरात ने अमेरिका द्वारा लंबे समय से इस्तेमाल किए जा रहे हवाई अड्डे का इस्तेमाल हमलों के लिए करने पर रोक लगा दी है। ऐसे में वह अपने जेट, हथियार और सेना को कतर में ट्रांसफर कर रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर में जेट की तैनाती के बाद अमेरिका के लिए इनका इस्तेमाल आसान होगा। यूएई ने इस साल फरवरी में अमेरिका को बता दिया था कि वह अबू धाबी के अल धफरा हवाई अड्डे से अमेरिकी युद्धक विमानों को यमन और इराक में हमले की अनुमति नहीं देगा। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यूएई के प्रतिबंध ने अमेरिकी कमांडरों को कतर में अल उदीद हवाई अड्डे पर विमान भेजने के लिए प्रेरित किया है। कतर ने अमेरिका पर विमानों के इस्तेमाल को लेकर इस तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए हैं।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह का निर्णय अमेरिका और फारस की खाड़ी के देशों के बीच मौजूदा तनाव को उजागर करता है। ईरान काफी समय से इजरायल और अमेरिका पर हमलावर है। अधिकारियों ने कहा कि यूएई को यह डर है कि क्षेत्र में तनाव बढ़ने की स्थिति में अगर उसने अमेरिकी सैन्य अभियानों को सार्वजनिक रूप से सहायता दी तो ईरान इसके लिए उसे निशाना बना सकता है। यूएई के एक अधिकारी ने डब्ल्यूएसजे को बताया कि इराक और यमन में हमले के लिए एयरपोर्ट पर बैन के पीछे की वजह आत्म-सुरक्षा है।
बीते महीने इजरायल और ईरान ने एक दूसरे की जमीन पर हमला किया था। ईरान ने इजरायल पर 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें, 30 क्रूज मिसाइलें और 170 ड्रोन लॉन्च किए थे। इस हमले को विफल करने में इजरायल सफल रहा था।
दावा किया गया था कि सउदी अरब और यूएई से मिली खुफिया जानकारी की वजह से इजरायल को हमले को नाकाम करने में बड़ी में मदद मिली थी लेकिन दोनों ने ईरान की सीधी दुश्मनी से बचने के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भूमिका पर बात करने से इनकार कर दिया।