नई टिहरी। बादल फटने से बालगंगा और धर्मगंगा नदियों का रौद्र रूप देख बूढ़ाकेदार घाटी के हजारों ग्रामीण रात भर जागते रहे। हर कोई कुशलता की कामना रहा। दोनों नदियों की गड़गड़ाहट ने उनका सुख-चैन छीन लिया। दिल में खौफ था और मन में अजीब बेचैनी।विद्युत व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी इस कारण मोबाइल फोन की लाइट से घरों में उजाला किया था। एक दूसरे को फोन कर कुशल पूछते रहे। किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या हो रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारी बारिश और भूस्खलन के संबंध में घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह व जिला अधिकारी टिहरी गढ़वाल मयूर दीक्षित से राहत एवं बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी टिहरी को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्र के संवेदनशील गांवों को तत्काल चिन्हित कर सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए।
शुक्रवार की रात को बूढ़ाकेदार घाटी के लोग कभी नहीं भूल सकते। हमेशा शांत रहने वाली स्थानीय नदी बालगंगा और धर्मगंगा ने कब रौद्र रूप धारण कर लिया ग्रामीणों को पता ही नहीं चला। दिन तो किसी तरह निकल गया लेकिन रात भारी पड़ी।
बूढ़ाकेदार घाटी के पिंसवाण, उरणी, कोट और अगुंडा में लगभग ढाई हजार ग्रामीण रात भर नहीं सो पाए। कोट बिशन मोटर मार्ग से जुड़े गांव तोली, तिनगढ़, जखाणा, गेंवाली, भिगुन, तितरोणा के ग्रामीण भी रतजगा करते रहे। बूढ़ाकेदार बाजार के लोग भी दोनों नदियों का रौद्र रूप देख परेशान रहे।
पिंसवाड़ निवासी डीएस जखेड़ी ने बताया कि वर्ष 2002 में अगुंडा गांव में भूस्खलन से 11 लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई थी। रात का मंजर देख मन में बार-बार वही घटना याद आ रही थी।
भारी वर्षा के बाद बालगंगा और धर्मगंगा नदियों के किनारे बने मोटर मार्ग बहने से लगभग 10 गांवों का संपर्क ब्लाक मुख्यालय से कट गया है। धर्मगंगा नदी किनारे बूढ़ाकेदार-पिंसवाड़ सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया है, जिससे अगुंडा, कोटी, उरणी और पिंसवाड़ तक जाने का अब कोई रास्ता नहीं है।
ग्रामीण भी सड़क बंद होने के कारण गांवों में ही फंस गए हैं। वहीं कई वाहन भी फंसे हैं। बूढ़ाकेदार-कोट बिशन मोटर मार्ग का भी काफी हिस्सा बह गया है। इस कारण गेंवाली, कोट बिशन, तितरोणा, तोली, जखाणा और तिनगढ़ जाने का अब कोई रास्ता नहीं बचा है। पैदल मार्ग से ही इन गांवों तक प्रशासन और पुलिस की टीम पहुंची।