गोपेश्वर: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली यात्रा ब्रह्ममूर्हत के बाद पहले पड़ाव ल्वींटी बुग्याल से रुद्रनाथ मंदिर पहुंच गई। इस दौरान श्रद्धालुओं सहित स्थानीय हक-हकूकधारियों में खासा उत्साह था। शनिवार को ब्रह्ममूर्हत में रुद्रनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनाथ खोल दिए गए।
उच्च हिमायली क्षेत्र में स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा अति दुर्गम मानी जाती है। गोपेश्वर के निकट सगर गांव से 19 किमी पैदल यात्रा कर भगवान रुद्रनाथ के मंदिर पहुंचा जा सकता है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान के मुख के दर्शन होते हैं। पंचकेदारों में चतुर्थ केदार के रूप में जाने जाने वाले रुद्रनाथ मंदिर में शिव ने पांडवों को मुख के दर्शन दिए थे।
यहां गीष्मकाल में कपाट खुलने के बाद छह माह तक पूजा अर्चना होती है, जबकि शीतकाल में गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना होती है। शुक्रवार सुबह ब्रह्ममूर्हत में इस यात्रा के पहले पड़ाव ल्वींटी बुग्याल में पुजारी वेदप्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना कर यात्रा को शुरू किया।
दिनभर 11 किमी पैदल चलने के बाद यात्रा शाम को रुद्रनाथ मंदिर पहुंची। रुद्रनाथ मंदिर के पुजारी वेद प्रकाश भट्ट ने कहा कि रुद्रनाथ मंदिर के कपाट छह माह के लिए ब्रह्ममूर्हत में श्रद्धालुओं के दर्शनाथ शनिवार को खोल दिए गए।
रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर की उत्सव डोली शनिवार को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए रवाना होगी। 20 मई को वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।
कपाट खोलने को लेकर बदरी-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुटी हुई है। शुक्रवार को मध्यमेश्वर की मूर्तियों की विधि-विधान के साथ विशेष पूजा-अर्चना कर अभिषेक किया गया। इस दौरान सैकड़ों भक्तों ने भगवान के दर्शन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
शनिवार सुबह आठ बजे द्वितीय केदार मध्यमेश्वर की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से स्थानीय वाद्य यंत्रों एवं भक्तों के जयकारों के साथ कैलाश धाम के लिए रवाना होगी।