गुरुग्राम। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर से ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए दिल्ली के महिपालपुर में शिवमूर्ति के सामने से लेकर गुरुग्राम में खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक तक द्वारका एक्सप्रेस-वे (Dwarka Expressway) बनाया जा रहा है। इसे दो भागों में बांटा गया है, ताकि बेहतर तरीके से निर्माण हो सके।
गुरुग्राम भाग का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसका शुभारंभ नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) 11 मार्च को करेंगे। दिल्ली भाग में टनल का निर्माण लगभग 10 प्रतिशत बाकी है। यह देश का सबसे अनूठा एक्सप्रेस-वे है। अभी देश के भीतर कहीं भी सिंगल पिलर पर आठ लेन का एक्सप्रेस-वे नहीं है। पूरा प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर से 30 प्रतिशत से अधिक ट्रैफिक का दबाव कम होने की उम्मीद है।
इससे प्रदूषण का स्तर भी काफी कम होगा। फिलहाल दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे (Delhi-Gurugram Expressway) के ऊपर पीक आवर के दौरान ही नहीं, बल्कि 24 घंटे ट्रैफिक का दबाव भारी दबाव है। दबाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिरहौल बार्डर से प्रतिदिन औसतन साढ़े तीन लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं। सुबह आठ बजे से 11 बजे तक एवं शाम पांच बजे से रात नौ बजे के दौरान एक्सप्रेस-वे पर वाहन रेंगने को मजबूर हैं।
द्वारका एक्सप्रेस-वे की लंबाई केवल 29 किलोमीटर है।यह देश का सबसे छोटा एक्सप्रेस-वे है।निर्माण पर नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है।इसका 18.9 किलोमीटर गुरुग्राम में, बाकी 10.1 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में पड़ता है।
23 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और लगभग चार किलोमीटर भूमिगत (टनल) बनाया जा रहा है।गुरुग्राम एवं दिल्ली हिस्से को भी दो-दो भाग में बांटा गया है।गुरुग्राम के दोनों भागों के निर्माण की जिम्मेदारी एलएंडटी नामक निर्माण कंपनी के पास है।दिल्ली इलाके के दोनों भागों की जिम्मेदारी जय कुमार इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड नामक निर्माण कंपनी के पास है।
दिल्ली इलाके में पहला भाग गुरुग्राम-दिल्ली सीमा से बिजवासन तक लगभग 4.20 किलोमीटर का है।दिल्ली इलाके में दूसरा भाग बिजवासन से महिपालपुर में शिवमूर्ति तक 5.90 किलोमीटर का है।गुरुग्राम इलाके में पहला भाग खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक से धनकोट के नजदीक तक लगभग 8.76 किलोमीटर का है।गुरुग्राम इलाके में दूसरा भाग बसई-धनकोट के नजदीक से गुरुग्राम-दिल्ली सीमा तक लगभग 10.2 किलोमीटर का है।
निर्माण में दो लाख एमटी स्टील का इस्तेमाल होगा, जो एफिल टावर के निर्माण की तुलना में 30 गुना अधिक है।
20 लाख सीयूएम कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो बुर्ज खलीफा की तुलना में छह गुना अधिक है।प्रोजेक्ट के लिए 12 हजार से अधिक पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया है।द्वारका एक्सप्रेस-वे से लोग सीधे एयरपोर्ट पहुंचने के लिए 3.6 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण।अनुमान है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक का दबाव 30 प्रतिशत से अधिक कम हो जाएगा।
द्वारका एक्सप्रेस-वे को दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे एवं सदर्न पेरिफेरल रोड (एसपीआर) से जोड़ने के लिए खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक फुल क्लोवरलीफ फ्लाईओवर बनाया गया है। इससे वाहन पूरी रफ्तार के साथ किसी भी रोड पर आ-जा सकेंगे। एसपीआर गांव घाटा के नजदीक गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड से जुड़ा है।
इस वजह से फुल क्लोवरलीफ फ्लाईओवर बनने का लाभ फरीदाबाद एवं दिल्ली के भी लोग उठाएंगे। फरीदाबाद से आने वाले वाहन इफको चौक से दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने की बजाय सीधे खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक से एक्सप्रेस-वे पर चढ़ जाएंगे।
द्वारका एक्सप्रेस-वे से गुरुग्राम के सेक्टर-81 से लेकर सेक्टर-115 तक सीधे तौर पर जुड़े हैं। यही नहीं 20 से अधिक कालोनियां सीधे जुड़ी हैं। 10 से अधिक गांव आसपास हैं। इस तरह लाखों लोगों को इसके चालू होने का इंतजार है। गांव दौलताबाद के रहने वाले जयशंकर वर्मा कहते हैं कि रात में द्वारका एक्सप्रेस-वे को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे अपने देश में है ही नहीं।