गोपेश्वर। बद्रीनाथ यात्रा के सबसे अहम पड़ाव जोशीमठ के भूधंसाव प्रभावित सुनील वार्ड में जियो टेक्निकल सर्वे के तहत 80 मीटर डीप कोर ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। ड्रिलिंग में निकले पत्थर-मिट्टी के सैंपल जांच के लिए मुंबई की लैब में भेजे गए हैं। जांच रिपोर्ट के बाद ही वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। हालांकि, प्रारंभिक जांच में जमीन के नीचे चट्टान के बजाय बड़े बोल्डर होने का अनुमान है।
चमोली जिले के भूधंसाव की आपदा से त्रस्त सीमांत नगर जोशीमठ के सुनील वार्ड में औली रोड पर जमीन के 80 मीटर अंदर तक कोर ड्रिलिंग का कार्य मंगलवार को पूरा हुआ। पहले चरण की कोर ड्रिलिंग के क्या परिणाम रहे, यह सैंपल की जांच के बाद ही पता लगेगा।
जियो टेक्निकल सर्वे का कार्य नीदरलैंड की कंपनी फुगरो के जियोलॉजिस्ट अभिषेक भारद्वाज की निगरानी में किया जा रहा है। भारद्वाज ने बताया कि 80 मीटर की डीप कोर ड्रिलिंग पूरी करने के बाद तकनीशियन ने पत्थर-मिट्टी के सैंपल एकत्र किए हैं। इनकी जांच के बाद ही जमीन के अंदर की वास्तविक स्थिति पता लग पाएगी। फिलहाल पहले चरण में सर्वे के लिए 80 मीटर तक ड्रिलिंग पूरी कर ली गई है।
जोशीमठ के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों में लोक निर्माण विभाग नीदरलैंड की कंपनी फुगरो से अलग-अलग छह स्थानों पर जियो टेक्निकल ड्रिलिंग सर्वे करा रहा है। पहले चरण में कंपनी की ओर से सुनील वार्ड में औली रोड पर 13 नवंबर से ड्रिलिंग शुरू की गई थी, जो अब पूरी हो गई है। जोशीमठ के सिंहधार वार्ड, आर्मी एरिया, मनोहर बाग वार्ड व मारवाड़ी वार्ड सहित कुल छह स्थानों पर जियो टेक्निकल ड्रिलिंग सर्वे किया जाना है।
सर्वे के बाद कंपनी लोनिवि को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। शासन स्तर पर रिपोर्ट पहुंचने के बाद ही जोशीमठ नगर के लिए दीर्घकालीन योजना तैयार की जाएगी। विदित हो कि जोशीमठ में इसी वर्ष चार जनवरी से भूधंसाव के साथ ही घरों में दरार पड़ने का क्रम तेज हुआ था। इसके बाद 850 परिवारों को अन्यत्र विस्थापित करना पड़ा, जबकि दो बड़े होटल ढहा दिए गए।
देश की नामी संस्थाओं के विज्ञानियों ने जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के कारणों की गहनता से पड़ताल की। सभी संस्थानों की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने जोशीमठ के आपदा प्रभावित क्षेत्र के उपचार और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए योजना तैयार कर केंद्र को भेजी।