पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिले की ऊंची चोटियों पर भारी हिमपात के बाद उच्च हिमालयी जानवरों का रुख घाटियों की ओर होने लगा है। धारचूला तहसील की दारमा वैली के बालिंग गांव की सीमा में तीन रोज पूर्व उत्तराखंड की विशेष पहचान स्नो लेपर्ड के दर्शन हुए। क्षेत्र में पांच वर्ष पूर्व स्नो लेपर्ड दिखाई दिया था।
स्नो लेपर्ड दिखाई देने को हिमालय की अच्छी सेहत का संकेत माना जा रहा है। जिले की चीन सीमा से लगे बर्फ से ढके रहने वाला 15 हजार फीट से ऊपर का इलाका स्नो लेपर्ड का प्राकृतिक वास माना जाता है। स्नो लेपर्ड मानव बसासत के पास नहीं आता।
शीतकाल में उच्च हिमालय में भारी हिमपात के बाद स्नो लेपर्ड 11 हजार फीट की ऊंचाई तक आ जाते हैं। तीन रोज पूर्व दारमा वैली में विदांग गांव में स्थित आईटीबीपी चौकी के पास जवानों ने स्नो लेपर्ड देखा। जवान इस खूबसूरत जानवर का फोटो ले पाते उससे पहले ही लेपर्ड बर्फ में गुम हो गया। आईटीबीपी ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी।
क्षेत्र के वन क्षेत्राधिकारी दिनेश जोशी की अगुवाई में टीम बालिंग गांव पहुंची। टीम ने स्नो लेपर्ड के संबंध में जानकारी जुटाई। वन विभाग की टीम जानकारी लेकर वापस लौट आई है। धारचूला की दारमा घाटी में पांच वर्ष पूर्व भी स्नो लेपर्ड दिखाई दिया था। बालिंग गांव इस समय जनशून्य है। गांव के लोग माइग्रेशन पर घाटियों की ओर आ चुके हैं। क्षेत्र में केवल आईटीबीपी तैनात है।
बिदांग गांव के पास स्नो लेपर्ड देखे जाने की सूचना आइटीबीपी से मिली थी। इस सूचना पर टीम पहुंची और जानकारी जुटाई। रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है। – दिनेश जोशी, वन क्षेत्राधिकारी, पिथौरागढ़
चीन सीमा से लगे बर्फीले इलाके में पाए जाने वाले स्नो लेपर्ड के आंकड़े वन विभाग के पास नहीं हैं। वर्ष 2013 में वाइल्ड लाइफ की टीम स्नो लेपर्ड की गणना के लिए पिथौरागढ़ आई थी। टीम ने ट्रैप कैमरा और स्नो लेपर्ड के मल से गणना के प्रयास किये थे, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए। स्नो लेपर्ड निचले इलाकों में पाए जाने वाले लेपर्ड की तुलना में काफी खूबसूरत होता है। इसका रंग बर्फ की तरह ही सफेद होता है।