अगस्‍त माह में ‘शिव’ व ‘शक्ति’ ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

ऋषिकेश। महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर सुरंगों की खोदाई का कार्य निरंतर लक्ष्य की ओर अग्रसर होने के साथ नित नए रिकॉर्ड भी बना रहा है।सबसे लंबी सुरंग की खोदाई के कार्य में लगी दो टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) शिव और शक्ति ने बीते अगस्त में 1080.11 रनिंग मीटर (आरएम) सुरंग का निर्माण कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इससे पहले सुरंग निर्माण का सर्वश्रेष्ठ मासिक रिकॉर्ड 796 आरएम का था।

16,216 करोड़ की लागत से बन रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर वर्ष 2019 में कार्य शुरू हुआ था और वर्ष 2025 तक इसे पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।126 किमी लंबी यह रेल लाइन 105 किमी तक 17 सुरंगों से होकर गुजरेगी।इनमें सबसे लंबी 14.08 किमी सुरंग देवप्रयाग (सौड़) से जनासू के बीच बन रही है, जो कि डबल ट्यूब (आने-जाने के लिए अलग-अलग) सुरंग है।

सुरंगों की खोदाई के लिए अत्याधुनिक टीबीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है।इस कार्य को देश की प्रतिष्ठित कंपनी एलएंडटी अंजाम दे रही है।दोनों सुरंग को मिलाकर कुल 29 किमी लंबाई में से 21 किमी की खोदाई टीबीएम और शेष आठ किमी की खोदाई न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से की जा रही है।एलएंडटी खोदाई के कार्य में जिन दो टीबीएम का इस्तेमाल कर रही है, उन्हें ‘शिव’ व ‘शक्ति’ नाम दिया गया है।

कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत टीबीएम ‘शक्ति’ ने अगस्त में 524.76 आरएम और ‘शिव’ ने 555.35 आरएम सुरंग की खोदाई कर नया रिकॉर्ड बनाया।इससे पहले मई तक हर माह दोनों टीबीएम ने औसतन 500 आरएम खोदाई की।जबकि, बीते जून में ‘शिव’ व ‘शक्ति’ ने संयुक्त रूप से 796 आरएम सुरंग की खोदाई की। इसमें शक्ति ने 552 और शिव ने 244 आरएम का योगदान किया।कार्यदायी कंपनी एलएंडटी के परियोजना निदेशक राकेश अरोड़ा ने दावा किया कि यह उपलब्धि 9.1 मीटर व्यास वाली सिंगल शील्ड हार्ड राक टीबीएम के साथ विश्व रिकॉर्ड भी है।

टीबीएम शक्ति ने 16 दिसंबर 2022 और शिव ने एक मार्च 2023 को सुरंग की खोदाई का कार्य शुरू किया था।
इस उपलब्धि के साथ ‘शक्ति’ अब तक 7,286 आरएम और ‘शिव’ 6,136 आरएम सुरंग की खोदाई कर चुकी है। जबकि, दोनों टीबीएम का कुल लक्ष्य 10,500 आरएम (अलग-अलग) रखा गया है।कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पर्वतीय जिलों तक रेल सेवा शुरू होने से आवागमन सुविधाजनक होगा। इससे पर्वतीय क्षेत्र में पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। वहीं, उत्तराखंड के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में सेना की पहुंच भी आसान हो जाएगी।

रेल परियोजना पर एक नजर
कुल लागत 16216 करोड़ रुपये
वर्ष 2019 में शुरू हुआ कार्य, वर्ष 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य
कुल लंबाई 126 किमी
17 सुरंगों से होकर गुजरेगी इसमें से 105 किमी लाइन
सबसे लंबी सुंरग 14.08 किमी (देवप्रयाग से जनासू के बीच)
सबसे छोटी सुरंग 200 मीटर (सेवई से कर्णप्रयाग के बीच)
11 सुरंगों की लंबाई छह किमी से अधिक
परियोजना के तहत वीरभद्र, योगनगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर (चौरास), धारी देवी, रुद्रप्रयाग (सुमेरपुर), घोलतीर, गौचर व कर्णप्रयाग (सेवई) में 13 स्टेशन बनने हैं।

परियोजना पर सुरंगों की प्रगति
सुरंग, कुल लंबाई, अब तक हुई खोदाई
मुख्य, 103.805 किमी, 81.388 किमी
निकास, 97.600 किमी, 78.580 किमी
क्रास पैसेज, 7.050 किमी, 4.706 किमी
एडिट, 4.822 किमी, 4.822 किमी

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