हल्द्वानी। कुमाऊं में वर्षा का क्रम बना हुआ है। चंपावत जिले में गुरुवार रात कई स्थानों पर मध्यम वर्षा हुई है। इससे टनकपुर-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग मलबा आने की वजह से रात से तीन स्थानों पर बंद है।
एनएच से मलबा हटाने के लिए मशीनें लगी हैं। जिले में सीमांत टनकपुर-जौलजीबी मार्ग समेत 22 ग्रामीण सड़कें बंद हैं। बनबसा शारदा बैराज से पानी का बहाव एक लाख क्यूसेक से नीचे पहुंचने पर भारत-नेपाल के बीच चौपहिया वाहनों की आवाजाही सुचारू कर दी गई है।
पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा के बाद अब मुनस्यारी का संपर्क दूसरे दिन भी भंग है। थल-मुनस्यारी मार्ग बनिक के पास और जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग घिंघरानी के पास सड़क का हिस्सा बहने से बंद है। काली नदी का जलस्तर अभी भी चेतावनी लेवल से ऊपर बना हुआ है। जिले में 30 मार्ग बंद पड़े हैं।
देवखड़ी नाले में बुधवार सुबह तड़के जहां दो कारें बह गई थी, वहीं देर रात ढाई बजे बाइक सवार युवक बह गया। गनीमत रही रेलिंग पर बाइक अटकने से उसकी जान बच गई। गुरुवार सुबह पुलिस व स्थानीय लोगों की मदद से बाइक को नाले से बाहर निकाला जा सका।
बुधवार देर रात भारी बारिश के कारण काठगोदाम का देवखड़ी नाला उफान पर आ गया था। बाढ़ का पानी पुलिया पर सड़क के ऊपर बहने लगा। इससे कैनाल से हाईडिल की ओर सड़क लबालब हो गई। पुलिस के अनुसार, देर रात ढाई बजे एक युवक हाईडिल की ओर से कालटैक्स को आ रहा था। उसे लाउडस्पीकर से कई बार रुकने के लिए कहा गया, मगर युवक ने बाइक आगे बढ़ा दी।
नाले के तेज बहाव से बाइक सवार का संतुलन बिगड़ गया और वह पानी में बहने लगा, मगर लोहे की लगी रेलिंग में बाइक फंसकर अटक गई। युवक भी नाले में गिरने से बच गया। युवक रेलिंग के सहारे पानी से बाहर निकला और कुछ देर रुकने के बाद वहां से पैदल अपने घर चला गया। काठगोदाम थानाध्यक्ष विशाल मिश्रा ने बताया कि हाईडिल की ओर रेलिंग लगी है। युवक खुद ही नाले से बाहर निकलकर घर चला गया था। उसका नाम व पता दर्ज नहीं किया गया है।
पिथौरागढ़ की चार सीमांत तहसीलों में वर्षा का कहर जारी है। बुधवार रात्रि को धारचूला, मुनस्यारी, बंगापानी और तेजम तहसीलों में भारी वर्षा हुई। डीडीहाट और थल तहसीलों में मध्यम वर्षा हुई। हिमनदों से निकलने वाली बड़ी नदियों सहित अन्य नदी-नाले उफान पर हैं। सड़कों पर भारी मलबा आ चुका है।
जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग पर मदकोट-मुनस्यारी के बीच कैंथी बैंड पर दलदल में फंसे टिप्पर को दो लोडर मशीनों से खींच कर निकाला गया। चीन सीमा तक जाने वाले तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख सीमा और पिथौरागढ़-तवाघाट मार्ग कई घंटे बाद खुले। तीन सीमा व एक जिला मार्ग सहित कुल 30 सड़कें बंद हैं। वर्षा से प्रभावित चार तहसीलों में कई पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हैं। ग्रामीण जान हथेली पर रखकर आवाजाही कर रहे हैं।
प्रभावित तहसीलों में हुए भूस्खलन से एक दर्जन से अधिक मकान खतरे में आ चुके हैं। इन क्षेत्रों में दहशत बनी है। बीते तीन दिनों से इस क्षेत्र में हो रही भारी वर्षा के चलते सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान हुआ है। धारचूला के बुंगबुंग ग्राम पंचायत में एक पैदल पुल बह गया है। प्रशासन ने सभी स्थानों पर अलर्ट जारी कर दिया है। जौलजीबी-मुनस्यारी और थल-मुनस्यारी मार्ग बंद होने से मुनस्यारी का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा है।
जिले की प्रमुख काली नदी खतरे के निशान के करीब तो गोरी और रामगंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिसे लेकर प्रशासन ने नदियों के किनारे अलर्ट जारी कर दिया है। जिलाधिकारी रीना जोशी ने धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट के उपजिलाधिकारियों, एसएसबी की 55वीं वाहिनी और 11 वाहिनी पिथौरागढ़ और डीडीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, बंगापानी, तेजम, डीडीहाट, कनालीछीना के तहसीलदार, खंड विकास अधिकारियों, थानाध्यक्ष धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी, अस्कोट, डीडीहाट, कनालीछीना, झूलाघाट, पुलिस चौकी ओगला, पीपली और तालेश्वर को काली नदी के जलस्तर पर नजर रखने और लोगों को नदी किनारे नहीं जाने, नदी किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए समय-समय पर सूचना, चेतावनी प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं।
पंचाचूली क्षेत्र से निकल कर मदकोट में गोरी नदी में मिलने वाली मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ चुका है। अपने कटाव से क्षेत्र का भूगोल बदलने वाली मंदाकिनी के उफान पर आने से मदकोट सहित अन्य क्षेत्रों में दहशत व्याप्त है।
गुरुवार सुबह उफान पर आई मंदाकिनी नदी ने देवीबगड़ की सुरक्षा के लिए नदी किनारे सौ मीटर में बने चेक डैम मात्र पांच मिनट में बहा दिए। एक चेक डैम टिका है, जिसके चलते नदी का प्रवाह बस्ती की तरफ आने से बच गया और देवीबगड़ में रहने वाले लगभग 40 परिवार खतरे में हैं।
तहसील के बुंगबुंग ग्राम पंचायत में सिमखोला नदी पर सिमखोला गांव को जोड़ने वाला पैदल पुल बह गया है। सिमखोला नाला उफान पर है। पुल बहने से सिमखोला के 70 परिवारों का संपर्क कट चुका है। सिमखोला गांव तक जाने का एकमात्र माध्यम यही पुल था। धारचूला-तवाघाट एनएच पर दोबाट के निकट सुबह तक पहाड़ से पत्थर और मलबे की बरसात होती रही।
बुधवार रात्रि की ऊपरी क्षेत्रों हुई वर्षा के चलते सुबह काली और गोरी नदियां उफान पर आ गई। काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीबी में नदियों के रौद्र रूप को देखकर जौलजीबीवासी दहशत में आ गए। यहां पर गोरी नदी किनारे कई परिवार रहते हैं। इस दौरान नदियों में विशाल वृक्ष भी बहते नजर आए। सुबह लगभग नौ बजे के आसपास नदियों का रौद्र रूप कम होने के बाद लोगों ने राहत क सांस ली।
काली नदी का जलस्तर बढ़ने से झूलाघाट-बलतड़ी सड़क सप्तड़ी एसएसबी कैंप के आगे कटाव से धंसने लगी है। एक तरफ पहाड़ से भूस्खलन, दूसरी तरफ काली नदी के कटाव से सड़क पर वाहनों का आवागमन तो दूर रहा पैदल चलना भी मुश्किल हो चुका है।