देहरादून: उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तैयारियों के बीच राज्य में अतिक्रमण के मुद्दे पर सियासत गर्मा गई है. दरअसल, एनजीटी के आदेश के बाद देहरादून नगर निगम और एमडीडीए ने रिस्पना किनारे बसी बस्तियों में सरकारी भूमि पर चिन्हित करीब पांच सौ मकानों को नोटिस देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. इस सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनको एक सप्ताह के भीतर खुद मकान ढहाना होगा.
बता दें कि एमडीडीए और नगर निगम की टीमों ने बीते दिनों सर्वे करके रिस्पना किनारे अतिक्रमण कर रहे मकानों को चिन्हित किया था. यहां अधिकतर मकान 11 मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं और जिन मकानों को अवैध निर्माण की कैटिगरी में रखा गया है. इसको लेकर प्रदेश की सियासत भी खूब हो रही है. कांग्रेस पार्टी ने पीड़ित परिवारों के पुनर्वास की मांग उठाई है.
वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बस्तियों के नियमितीकरण या फिर उनको हटाने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है. एक तरफ जहां भाजपा मलिन बस्तियों को बचाने के लिए अध्यादेश लेकर आई दूसरी तरफ बस्तियों को उजाड़ने के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं.
कांग्रेस का यह भी कहना है कि भाजपा ने नगर निकाय चुनाव जब नजदीक दिख रहे हैं, तब भाजपा ने बस्तियों में डर का माहौल दिखाने के लिए नोटिस भेज दिए हैं. लेकिन बस्तियों को उजाड़ने से पहले सरकार को बस्तीवासियों को पुनर्वास किए जाने की व्यवस्था करनी चाहिए.वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रही है. जबकि सरकार की मंशा बस्तियों पर कार्रवाई करने की नहीं है.
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि भाजपा मलिन बस्तियों को उजाड़ने की कोई योजना नहीं बना रही है और ना तो भाजपा सरकार की इस तरह की कोई मंशा है. उन्होंने कहा कि भाजपा अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए संकल्पित है. लेकिन एनजीटी के आदेशों को लेकर भी राज्य सरकार गंभीर है.
बता दें कि नगर निगम देहरादून ने रिस्पना के किनारे स्थित 27 बस्तियों में सरकारी भूमि पर बने 525 मकान चिन्हित किए हैं. नगर निगम ने 89 मकानों को नोटिस थमाया है. इनमें से करीब 35 आपत्तियां भी आ चुकी है.