नई दिल्ली :मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। विधानसभा चुनावों के नतीजों के बीच आज संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षियों को बाहर की पराजय का गुस्सा सदन में नहीं निकालने की नसीहत दे डाली।
गौरतलब है, कांग्रेस सिर्फ तेलंगाना की 64 सीटें जीत सकी। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत पाकर 163 सीटें जीतने में सफल रही। वहीं राजस्थान में भाजपा को 115 सीटों पर जीत मिली। छत्तीसगढ़ में भाजपा 54 सीटें जीतकर सत्ता कब्जाने में सफल रही है। मिजोरम में आज नतीजे साफ हो जाएंगे।
ऐसे में, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सर्दी बहुत धीमी गति से आ रही है, लेकिन राजनैतिक गर्मी बड़ी तेज से बढ़ रही है। कल ही चार राज्यों के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं। परिणाम बहुत ही उत्साहजनक हैं। खासकर उन लोगों के लिए उत्साहजनक हैं, जो देश के आम लोगों के कल्याण और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, ‘सभी समाजों और सभी समूहों की महिलाएं, युवा, हर समुदाय और समाज के किसान और मेरे देश के गरीब, ये चार ऐसी महत्वपूर्ण जातियां हैं, जिनके सशक्तिकरण, उनके भविष्य को सुनिश्चित करने वाली ठोस योजनाएं और अंतिम व्यक्ति तक पहुंच के उसूलों पर जो चलता है, उन्हें भरपूर समर्थन मिलता है।’
उन्होंने कहा कि इतने उत्तम जनादेश के बाद आज हम संसद के इस नए मंदिर में मिल रहे हैं। जब इस नए परिसर का उद्घाटन हुआ था, तो उस समय एक छोटा सा सत्र था और एक ऐतिहासिक निर्णय हुआ था। लेकिन इस बार लबें समय तक इस सदन में कार्य करने का अवसर मिलेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘देश ने नकारात्मकता को नकारा है। मैं लगातार सत्र के प्रारंभ में विपक्षियों के साथ विचार विमर्श करता हूं। लोकतंत्र का यह मंदिर जन आकांक्षाओं के लिए, विकसित भारत की नींव को और अधिक मजबूत बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण मंच हैं।
मैं सभी सांसदों से आग्रह करता हूं कि वो ज्यादा से ज्यादा तैयारी करके आएं। सदन में जो बिल रखे जाए उनपर गहन चर्चा हो। उत्तम से उत्तम सुझाव आएं क्योंकि जब कोई सांसद सुझाव रखता है तो जमीनी हकीकत से जुड़ा होता है। इसलिए हम हमेशा विचार करने का आग्रह करते हैं। इस बार भी ये सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली गई हैं।’
पीएम मोदी ने कहा, ‘अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं, तो ये विपक्ष में बैठे हुए साथियों के लिए सुनहरा अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर, पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।’