मकानों पर दरार चौड़ी होने से ग्रामीणों में दहशत

विकासनगर: देहरादून जिले के जौनसार क्षेत्र के पर्यटन स्थल लखवाड़ गांव में मकानों में दरार चौड़ी होने से ग्रामीण दहशत में हैं। वर्षा होते ही उनकी नींद उड़ जा रही है। बीते दिनों तहसील प्रशासन की टीम ने गांव का निरीक्षण किया।

इस दौरान स्थानीय निवासियों ने गांव का भूगर्भीय सर्वे कराने की मांग की। उनका कहना था कि गांव के नीचे पानी की मात्रा अधिक होने से मकानों में दरार आ रही हैं। वहीं, एसडीएम चकराता युक्ता मिश्र ने गांव का भूगर्भीय सर्वे कराने के लिए जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी है।

40 परिवार और लगभग 700 की आबादी वाला लखवाड़ गांव जिला मुख्यालय देहरादून से करीब 60 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां 41 वर्ष पहले भी भूधंसाव हुआ था। इसके बाद वर्ष 1998 में दोबारा भूस्खलन हुआ, जिससे कई मकानों में दरार आ गईं। तब से लेकर अब तक वर्षाकाल में मकानों पर दरार आने का सिलसिला बना हुआ है।

इस बार लगातार हो रही वर्षा से तो यह दरार लगातार चौड़ी होती जा रही हैं। खजान सिंह की रसोई ढह चुकी है और विक्रम सिंह चौहान, अजीत चौहान, सुशील अग्रवाल, संसार सिंह चौहान, लूदर सिंह, जनक सिंह, बली सिंह चौहान आदि के मकानों में दरार आई हैं। भूधंसाव के चलते लखवाड़ के पास बजरी खान से लेकर बस्ती तक खतरा बढ़ गया है। इसी को देखते हुए ग्रामीण गांव का दोबारा भूगर्भीय सर्वे कराने की मांग कर रहे हैं।

वर्ष 1982 में जब लखवाड़ में पहली बार भूधंसाव हुआ था, तब तत्कालीन उत्तर प्रदेश के पर्वतीय विकास मंत्री चंद्रमोहन सिंह नेगी व केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री ब्रहमदत्त ने गांव का दौरा किया था। इस दौरान पर्वतीय विकास मंत्री ने सुरक्षा कार्य के लिए 50 हजार की धनराशि उपलब्ध कराई थी।

वर्ष 1987 में केंद्र व राज्य सरकार ने एचएनबी गढ़वाल विवि के भूविज्ञान विभाग की टीम को गांव के सर्वेक्षण के लिए भेजा था। तब भूगर्भ विज्ञानियों ने लखवाड़ समेत आसपास के चार गांवों के नीचे पानी की मात्रा अधिक होने का संकेत दिया था। इसी के चलते 25 वर्ष पूर्व गांव में दोबारा भूस्खलन हुआ और कई मकान इसकी जद में आ गए। लेकिन, आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

स्थानीय निवासी एवं कृषि उत्पादन मंडी समिति साहिया-चकराता के चेयरमैन जगमोहन सिंह चौहान का कहना है कि गांव के नीचे इतना पानी है कि वर्षों पहले लगाए गए एक हैंडपंप से खुद ही पानी निकलता रहता है। गांव के पास से बरसाती नाला बिनगाड भी गुजरता है, जो बरसात में पूरे उफान पर रहता है। इसके कारण भी भूकटाव वाली स्थिति बनती है।

ग्रामीणों के अनुसार, लखवाड़ टीले पर बसा एक गांव है, जिसके नीचे बड़ी मात्रा में पानी है। इसलिए गांव का एक बार भूगर्भ विज्ञानियों से सर्वे कराया जाना जरूरी है। गांव का दोबारा भूगर्भीय सर्वे कराने की मांग प्रशासन से की गई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मकानों में दरार आने की असल वजह क्या है।

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