उदय दिनमान डेस्कः भारत ने एक ऐसा हथियार बना लिया है, जो बिना गोली/बम/तोप/मिसाइल चलाए दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और सर्विलांस सिस्टम को चुटकियों में भस्म कर सकता है. इस हथियार का नाम है – Mk-II(A) Laser Directed Energy Weapon (DEW). इसे पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है. अब इसका सफल परीक्षण भी हो गया है. ये वही टेक्नोलॉजी है, जिसकी वजह से अमेरिका और चीन जैसे देश खुद को ‘सुपरपावर’ समझते हैं. ऐसे ही हथियार मशहूर फैंटेंसी फिल्म सीरीज Star Wars में दिखाए गए थे.
लेजर-CEW का टेस्ट आंध्र प्रदेश के कुरनूल में खुले मैदान में हुआ. DRDO की हाई एनर्जी सिस्टम्स लैब CHESS, हैदराबाद और कई भारतीय संस्थानों ने मिलकर इस तकनीक को बनाया है. परीक्षण के दौरान इसने फिक्स्ड विंग ड्रोन को दूर से ध्वस्त किया. एकसाथ कई ड्रोन अटैक को नाकाम किया. दुश्मन के सर्विलांस एंटीना और सेंसर को जला दिया. यानी ये सिर्फ एक टारगेट नहीं, एक साथ कई टारगेट को एक ही समय पर खत्म कर सकता है.
DRDO का लेजर-DEW सिस्टम सिर्फ कुछ सेकंड में किसी ड्रोन या मिसाइल को भाप बना सकता है. इसमें ऐसा हाई पॉवर लेजर लगा है, जो टारगेट को ‘स्पॉट’ करते ही उस पर इतनी तीव्र ऊर्जा फेंकता है कि या तो उसकी संरचना टूट जाती है या अगर उसका वॉरहेड है तो उसमें ब्लास्ट हो जाता है.
DRDO के मुताबिक, इस हथियार को चलाने की लागत महज दो लीटर पेट्रोल के बराबर है. सोचिए, जब दुश्मन करोड़ों की मिसाइल भेजे और आप उसे चंद रुपये में खत्म कर दो, तो किसका पलड़ा भारी होगा? भारत को जिस तरह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों से लगातार ‘लो-कॉस्ट ड्रोन अटैक’ का खतरा है, ऐसे में ये लेजर-DEW एक गेमचेंजर बनने जा रहा है.
आज जब दुश्मन पारंपरिक जंग की बजाय तकनीक से वार कर रहा है, जैसे कि ड्रोन स्वार्म अटैक, सर्विलांस बैलून या मिसाइल, तो हमें भी जवाब उसी भाषा में देना होगा. और वो भाषा है लेजर टेक्नोलॉजी. ये हथियार न सिर्फ सटीक है, बल्कि इसमें कोई ‘कोलैटरल डैमेज’ नहीं होता. यानी बेकसूरों को नुकसान नहीं होता. और यही इसे पारंपरिक हथियारों से अलग बनाता है.
DRDO ने साफ कहा है कि ये तो बस शुरुआत है. आने वाले वक्त में ये लेजर-DEW पारंपरिक मिसाइल सिस्टम और भारी-भरकम तोपों की जगह लेगा. इसे छोटे यूनिट्स में फील्ड में तैनात किया जाएगा