देहरादून। केदारनाथ में मंदाकिनी नदी में सीवर बहाए जाने की शिकायत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं। एनजीटी ने कहा कि केदारनाथ क्षेत्र में सीवेज ट्रीटमेंट और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति के आकलन के लिए गठित समिति की संस्तुतियों पर गंभीरता से कदम उठाए जाएं।
अभीष्ट कुसुम गुप्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष शिकायत दायर कर केदारनाथ क्षेत्र में मंदाकिनी नदी में सीवर बहाए जाने का आरोप लगाया था। इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष), जस्टिस अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) और डा ए सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) की पीठ ने सुनवाई की।एनजीटी की न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने केदारनाथ में उचित सीवेज ट्रीटमेंट और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का इंतजाम करने के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया।
पूर्व में एनजीटी ने जमीनी हकीकत जानने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट और देहरादून में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनाई थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने इस समिति की रिपोर्ट पर भी गौर किया।
समिति की रिपोर्ट के क्रम में एनजीटी ने कहा कि केदारनाथ में ठोस और प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए कोई प्लांट नहीं लगाया गया है। जबकि अनुमान के मुताबिक केदारनाथ में सीजन के दौरान प्रतिदिन 1.667 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। साथ ही सीवर के उचित निस्तारण के लिए 600 किलो लीटर प्रति दिन (केएलडी) क्षमता वाला एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया जा रहा है।
राज्य सरकार ने दिसंबर तक एसटीपी का निर्माण पूरा करने का भरोसा दिलाया है। हालांकि, एनजीटी ने कहा कि इस एसटीपी की क्षमता भी नाकाफी है। साथ ही आसपास मौजूद भवनों को सीवेज कनेक्शन प्रदान करने के लिए कोई टाइमलाइन भी नहीं बताई गई है।
इसके अलावा एनजीटी ने कहा कि उत्तराखंड को केदारनाथ में पर्याप्त क्षमता के साथ उचित सीवेज ट्रीटमेंट और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने और संयुक्त समिति के सुझावों को लागू करने के लिए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जाता है।
इस हलफनामे में ट्रीटमेंट प्लांटों को शुरू किए जाने की डेडलाइन भी होनी चाहिए। राज्य को यह भी निर्देश दिए गए कि अगले यात्रा सीजन से पहले सीवेज सोखने वाले गड्डों (सोक पिट) का उचित रखरखाव किया जाए। सीवेज सिस्टम की 600 केएलडी एसटीपी से 100 प्रतिशत कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।