लखनऊ :लखनऊ में बीमा की रकम के लिए पूजा यादव की हत्या के मामले में नया खुलासा हुआ है। पूजा यादव की हत्या को आरोपियों ने हादसा बताया था। पुलिस ने भी अपनी विवेचना में हादसे पर मुहर लगा चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके पीछे विवेचक का बड़ा खेल रहा।
उधर, बीमा कंपनी की शिकायत के बावजूद अफसर भी बेखबर रहे। छह महीने तक जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रही। वर्तमान डीसीपी को जब मामले की जानकारी हुई तब टीम गठित कर जांच शुरू कराई, एक महीने के भीतर वारदात का खुलासा हो गया।
अप्रैल 2022 में पूजा की शादी के एक महीने के भीतर 50 लाख का बीमा, मुद्रा लोन और छह वाहन पूजा के नाम पर आरोपियों ने खरीदे थे। 20 मई 2023 को पूजा की हत्या करने के बाद नवंबर 2023 में बीमा क्लेम किया था। तकरीबन छह महीने पहले बीमा कंपनी ने आरोपियों का खेल पकड़ लिया था। तब पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन अफसर बेखबर रहे।
किसी ने संज्ञान नहीं लिया। इससे पहले केस के विवेचक मुकेश पाल ने चार्जशीट लगा दी थी। सूत्रों के मुताबिक लाभ लेकर मामला रफादफा भी किया। क्योंकि जो साक्ष्य सामने थे, उनको विवेचना के दौरान दरकिनार किया गया। इसी से विवेचक की मंशा पर सवाल खड़े हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक मामले में कहीं न कहीं विवेचक की मिलीभगत रही। इसलिए गहनता से तफ्तीश नहीं की। हादसे की दर्ज एफआईआर में अगर सीसीटीवी फुटेज जुटाईं होतीं, आरोपी दीपक के बारे में पता किया होता और जिस कार से हादसा हुआ था उसके मालिक से जानकारी ली होती तो कई जानकारियां मिल जातीं। इससे साजिश का खुलासा हो सकता था, लेकिन विवेचक भी वही करता रहा जो आरोपी चाहते थे। हादसे की धारा में ही चार्जशीट लगाकर मामला रफादफा कर दिया था।
चिनहट इंस्पेक्टर अश्विनी चतुर्वेदी ने बताया कि जब पुलिस को सूचना दी गई थी तब बताया गया था कि पूजा अपने ससुर राम मिलन के साथ दवा लेने जा रही थीं। तभी एक कार ने उनको कुचल दिया था। कार चालक दीपक वर्मा को पकड़वाया भी गया था। पुलिस ने विवेचना की और दीपक के खिलाफ चार्जशीट लगा दी।
इधर जब पूजा के पति ने बीमा क्लेम की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला कि वही दीपक पूजा और अभिषेक की शादी में गवाह था। ये गले नहीं उतरा। जब जांच हुई तो पता चला कि दीपक को ड्राइवर बनाकर पुलिस को सौंपा गया था। उसको एक कार देने का लालच दिया गया था। पता था कि एक्सीडेंट के मामले में जेल जाना नहीं पड़ेगा, थाने से ही जमानत मिल जाएगी। इसलिए दीपक राजी हो गया था।
पुलिस के मुताबिक, बीमा कंपनी ने जब पूजा और उसके पति अभिषेक के परिवार की आर्थिक स्थिति देखी तो भी शक हुआ था। सभी मजदूरी करते थे। ऐसे में उन पर मुद्रा लोन, छह गाड़ियों का फाइनेंस होना सवाल खड़ा कर रहा था। इसको भी अपनी जांच रिपोर्ट में बीमा कंपनी के अफसरों ने प्रमुखता से दर्ज किया था।
इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपी कुलदीप ने ही वर्ष 2021 में राम मिलन को ऐसी वारदात करने के बारे में बताया था। तब राम मिलन ने बेटे से बात की। वह भी राजी हो गया। उन्होंने अयोध्या की पूजा को शादी के लिए खोजा। जब पूजा से शादी तय हो गई तब कुलदीप ने अपने स्तर से ही उसके सारे जाली डॉक्यूमेंट्स बनाए। आईटीआर भरने लगा। यहां तक कि जो बैंक खाते पूजा के नाम पर थे उनको वह खुद ही ऑपरेट करता था।
बीमा कंपनी से जब संदेह जताकर पुलिस से शिकायत की तो अफसर सक्रिय हुए। केस से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया। सबसे पहले दीपक से पूछताछ की, क्योंकि हादसे वाले केस में वही बतौर चालक आरोपी था। पुलिस के मुताबिक उसकी कॉल डिटेल में पूजा के पति, ससुर आदि के नंबर मिले। सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने पूरी घटना कुबूल की।
डीसीपी ने बताया कि पूजा की हत्या के बाद आरोपियों दीपक, अभिषेक शुक्ला, राम मिलन, अभिषेक और कुलदीप ने पंचायत नामा भी भरा। तफ्तीश में पता चला कि अभिषेक शुक्ला अपने परिचित विजय बहादुर की कार मांगकर लाया था। वारदात के बाद विजय बहादुर से बोला कि मामूली एक्सीडेंट हुआ है। फिर कार रिपेयर करवाकर वापस दे दी गई।