नई दिल्ली :केरल इन दिनों गंभीर संक्रामक बीमारी की चपेट में है। पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश और जलजमाव के कारण जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने रविवार-सोमवार को केरल के कई जिलों में बारिश को लेकर ‘येलो अलर्ट’ जारी किया।
बुधवार तक यहां बारिश जारी रहने की आशंका जताई गई है। प्री-मानसून बारिश और जलजमाव ने स्थानीय लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं। यही कारण है राज्य के कई जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस नामक संक्रामक बीमारी के मामले बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। राज्य में लेप्टोस्पायरोसिस से अब तक 41 से ज्यादा मौतें भी हो चुकी हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दूषित पानी के संपर्क में आने के कारण इस संक्रामक रोग के फैलने का जोखिम अधिक देखा जाता है। बुखार और सिरदर्द के साथ शुरू होने वाले इस संक्रमण के लक्षण समय के साथ गंभीर होते जाते हैं जिसके कारण जानलेवा समस्याओं का भी खतरा हो सकता है। केरल में जिन स्थानों पर बारिश जारी है वहां पर लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी गई है।
एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की केरल इकाई के डॉ. राजीव जयदेवन बताते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित 10 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों उन्हें समय रहते डॉक्टर से मिलकर उपचार प्राप्त करना जरूरी है। इसके अलावा दूषित जल के संपर्क में आने से बचना चाहिए। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उन्हें विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।
लेप्टोस्पायरोसिस, लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। दूषित जल का आपकी नाक, मुंह, आंखों में चले जाने या फिर त्वचा में किसी घाव से इसके संपर्क के कारण ये बीमारी हो सकती है। ये जूनोटिक रोग माना जाता है, जिसका मतलब है कि ये इंसानों और जानवरों के बीच फैलने वाली बीमारी है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोग इस संक्रामक रोग के शिकार होते हैं जिनमें से 60 हजार से अधिक की मौत हो जाती है। इसके लक्षणों पर समय रहते ध्यान देना और उपचार प्राप्त करना जरूरी माना जाता है।लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं हालांकि गंभीर मामलों में ये आंतरिक रक्तस्राव और अंगों की क्षति का भी कारण बन सकती है। संक्रमण की शुरुआती स्थिति में तेज बुखार, आंखों में संक्रमण-लालिमा, सिरदर्द, ठंड लगने, मांसपेशियों में दर्द, दस्त और पीलिया जैसी समस्या हो सकती है।
संक्रमण का समय पर इलाज न होने के कारण लक्षणों के गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है जिसमें खांसी के साथ खून आने (हेमोप्टाइसिस), छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पेशाब में खून आने जैसे आंतरिक रक्तस्राव के लक्षण हो सकते हैं।लक्षणों के आधार पर लेप्टोस्पायरोसिस के लिए आवश्यक उपचार विधियों को प्रयोग में लाया जाता है। संक्रमण की स्थिति के आधार पर एंटीबायोटिक के माध्यम से उपचार किया जाता है।
संक्रमण के जोखिमों से बचे रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आप दूषित जल के संपर्क में आने से बचें। जानवरों के संपर्क से भी दूरी बनाकर रखें। पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें या फिर पानी को उबालकर उसे ठंडा करके पिएं। अगर आपके शरीर में कहीं घाव है तो उसकी उचित देखभाल करें।