उदय दिनमान डेस्कः युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत होते हैं, क्योंकि उनके पास नवाचार, ऊर्जा और उत्साह होता है जो किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास में अहम भूमिका निभाता है। युवा राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके पास जोश और जुनून होता है, जो देश को ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। अतः युवाओं को अच्छी शिक्षा और आधुनिक कौशल से लैस करना जरूरी है।
यह उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी योगदान देता है। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर दिए जाएं तो वे देश को विज्ञान, टेक्नोलॉजी और व्यवसाय में आगे ले जा सकते हैं। युवा पीढ़ी के हाथों में देश के भविष्य की बागडोर होती है उन्हें सही दिशा में प्रेरित करना और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में नेतृत्व के गुण सिखाना महत्वपूर्ण है।
भारत जैसे बहुल-धार्मिक राष्ट्र में अल्पसंख्यक वर्ग की भूमिका राष्ट्र निर्माण में अहम होती है और अल्पसंख्यक वर्ग के रूप में मुस्लिम युवा देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं को मुख्यधारा में लाकर उनके शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा देना न केवल उनके सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे राष्ट्र की समग्र विकास प्रक्रिया भी तेज होती है।
एक राष्ट्र के रूप में भारत की यह ज़िम्मेदारी है कि देश के सभी वर्गों के लिए न्यायपूर्ण और समावेशी अवसर प्रदान करे। अल्पसंख्यक युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करना और उनके साथ भेदभाव को समाप्त करना आवश्यक है। सामाजिक समावेशिता से समाज में एकता और सौहार्द का माहौल बनता है, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य है।
अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं को नेतृत्व के अवसर प्रदान करना और उन्हें सशक्त बनाना राष्ट्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। जब ये युवा अपने समुदाय और देश के प्रति जिम्मेदार महसूस करेंगे, तो वे विकास की दिशा में सार्थक योगदान दे सकेंगे। अल्पसंख्यक वर्ग के युवा अपने साथ एक विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएं लेकर आते हैं। इस सांस्कृतिक विविधता का सम्मान और उसे अपनाना राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत बनाता है।
साथ ही अल्पसंख्यक युवाओं को न्याय और समावेशी प्रक्रिया में शामिल करने से देश में शांति और स्थिरता बनी रहती है, जो विकास के लिए आवश्यक है। उनके प्रति सकारात्मक नीतियां बनाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण में शामिल करना महत्वपूर्ण है। मुस्लिम युवा देश की जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और यदि उन्हें सही संसाधन और अवसर दिए जाएं, तो वे देश के विकास को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।
उनका सशक्तिकरण न केवल उनके समुदाय बल्कि पूरे राष्ट्र के भविष्य को उज्जवल बना सकता है। अल्पसंख्यक युवाओं के लिए विशेष शैक्षिक और कौशल विकास कार्यक्रम तैयार करना महत्वपूर्ण है। इससे वे अपने समुदाय और देश की प्रगति में योगदान कर सकते हैं। उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण उनके आर्थिक और सामाजिक उत्थान में अहम भूमिका निभाते हैं।
तमाम देश विरोधी ताक़तों के द्वारा मुस्लिम युवाओं को भड़काने और उन्हें असामाजिक और ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में संलिप्त करने का प्रलोभन दिया जाता है और एक वल्नरेबल समूह होने के नाते ये युवा आसानी से इन ताक़तों के झाँसे में आकर स्वयं का ,स्वयं के परिवार का और समाज का नुक़सान कर बैठते है।
यदि इन युवकों के सम्मुख इन्ही के समाज से आने वाले अभिप्रेरक और राष्ट्र के विकास में अतुलनीय योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को आदर्श के रूप में स्थापित जाए तो निश्चित रूप से मुस्लिम युवाओं के लिए एक सकारात्मक दिशा मिलेगी जो इनको स्व के विकास से लेकर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से अभिन्न रूप से जोड़ेगी।
मुस्लिम समाज में अतीत से लेकर आधुनिक काल तक अनेकों ऐसी विभूतियाँ है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त की है और समाज के लिए प्रेरणा बने हैं। इन नायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में न केवल व्यक्तिगत सफलताएं हासिल की हैं, बल्कि वे अपने समुदाय और देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इन्ही में से एक प्रमुख नाम है मोहम्मद शमी का।
मोहम्मद शमी भारतीय क्रिकेट के प्रमुख तेज गेंदबाजों में से एक हैं और खेल के क्षेत्र में उभरते मुस्लिम युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। शमी ने अपने व्यक्तिगत संघर्षों, जैसे कि परिवारिक विवाद और सार्वजनिक आलोचना का सामना गरिमा और संयम से किया है। उनकी यह क्षमता मुस्लिम युवाओं को यह सिखाती है कि नकारात्मक परिस्थितियों में भी कैसे सकारात्मक बने रह सकते हैं और अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
खेल या किसी अन्य पेशे में उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि आपकी व्यक्तिगत पहचान आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती बल्कि इसे गर्व से अपनाने की जरूरत है। शमी ने अपने प्रदर्शन से न केवल भारतीय टीम को गर्व महसूस कराया है, उन्होंने इस्लामोफ़ोबिया और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों का सामना करते हुए, अपनी सफलता से इन धारणाओं को चुनौती दी है।
मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी मुस्लिम युवाओं के लिए यह प्रेरणा देते हैं कि खेल और अन्य क्षेत्रों में किस प्रकार से अपने कौशल, आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर सफल हुआ जा सकता है| इसी प्रकार आसिफ शेख भी भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते सितारे हैं, जिन्होंने अपने खेल कौशल से ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही वे सामाजिक कार्यों में भी शामिल हैं, जहां वे अल्पसंख्यक युवाओं को खेल के माध्यम से शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं।
भारतीय मुस्लिम समुदाय के ये उभरते नायक न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, बल्कि वे समाज में बदलाव लाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। उनके प्रयास देश की समृद्धि और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
-प्रो बंदिनी कुमारी-लेखिका समाज शास्त्र की प्रोफेसर हैं और उत्तरप्रदेश के डिग्री कॉलेज में कार्यकर्ता हैंI