चमोली: संतानदायिनी माता अनसूया के मंदिर में लगभग हर रोज दंपति तपस्या के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के गर्भगृह में देवी अनसूया की भव्य पाषाण मूर्ति विराजमान है, जिसके ऊपर चांदी का छत्र रखा है. मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह में रात्रिभर जागरण, ध्यान, जप-तप करने से संतान की इच्छा रखने वाली महिला की गोद भर जाती है. माना जाता है कि सपने में देवी के दर्शन हो गए, तो समझो माता ने अपने भक्त की प्रार्थना सुन ली है. सदियों से रात्रि जागरण की यह परंपरा निरंतर जारी है. यहां आ चुके हजारों दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति हुई है.
जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 13 किलोमीटर दूर चोपता मोटर मार्ग पर मंडल के पास देवी अनसूया का मंदिर स्थित है. यह मंदिर कत्यूरी शैली बना है. मंदिर तक पहुंचने के लिएचार किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है.अनसूया मंदिर परिसर के पास पीछे की ओर दत्तात्रेय भगवान की एक प्राचीन शिला है, जो माता के तीन पुत्रों में से एक हैं. दत्तात्रेय भगवन विष्णु के अवतार माने जाते हैं. हर साल दत्तात्रेय जयंती के दिन यहां मेला लगता है, जिसे स्थानीय लोग अनसूया मेला या नौदी मेला कहते हैं.
अनूसया मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में बांज, बुरांश और देवदार के वन मंत्रमुग्ध कर देते हैं. श्रद्धालुओं को मंदिर में सबसे पहले भगवान गणेश की भव्य मूर्ति के दर्शन होते हैं. यह प्रतिमा एक शिला पर बनी है. इसे देखकर लगता है जैसे गणेश महाराज यहां पर विश्राम की मुद्रा में दाईं ओर झुककर बैठे हैं. यहां अनसूया नामक एक छोटा गांव भी है. मंदिर में सुबह-शाम आरती होती है.