DM सविन बंसल की फटकार के बाद हरकत में आया MDDA

देहरादून। राजीव गांधी कांपलेक्स में लंबे समय से बंद पड़ी लिफ्ट जल्द आमजन के लिए शुरू हो जाएगी। जिलाधिकारी सविन बंसल के निरीक्षण के दौरान जब लिफ्ट खराब मिली। तो उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुए, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। जिलाधिकारी ने तत्काल आमजन की सुविधा के लिए लिफ्ट संचालित करने के निर्देश दिए।

वहीं कांपलेक्स का रखरखाव कर रही एजेंसी के नीरज कुमार ने एमडीडीए एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पत्र लिखा। जिसमें एक सप्ताह के भीतर लिफ्ट की तकनीकी खामियों को ठीक करने एवं 20-25 दिन के भीतर लिफ्ट को विधिवत संचालित करने को कहा। दैनिक जागरण की ओर से कांपलेक्स में बंद पड़ी लिफ्ट को लेकर प्रमुखता से समस्या उठाई गई थी।

दरअसल, राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स में पांच फ्लोर में विभिन्न विभागों के कार्यालय संचालित हो रहे हैं। जिसमें प्रथम एवं द्वितीय तल पर दुकानें संचालित हो रही हैं। तृतीय तल पर तहसील कार्यालय, चौथे पर जिला पूर्ति कार्यालय, उपभोक्ता फोरम, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण एवं पंचम तल पर रेरा, टाउन प्लानिंग कार्यालय संचालित हो रहे हैं। कांपलेक्स में दो लिफ्ट लगाई गई है। जिसमें से एक लिफ्ट अधिकारियों के लिए विधिवत संचालित की गई है। इसमें भी लिफ्ट तीन फ्लोर को छोड़कर सीधे चौथे फ्लोर में खुलती है। यानि की लिफ्ट केवल अधिकारियों के लिए संचालित की जा रही है।

लिफ्ट में अधिकारियों के प्रवेश होने पर आमजन के प्रवेश पर रोक लगाई जाती है। आमजन के लिए जो लिफ्ट लगाई गई है। वह लंबे समय से बंद पड़ी है। ऐसे में बुजुर्ग एवं दिव्यांगों को सीढ़ियों से चढ़कर संबंधित विभाग के कार्यालय तक पहुंचना पड़ता है। जिलाधिकारी के निरीक्षण में यह बड़ी खामी मिली तो उन्होंने एमडीडीए को जमकर फटकार लगाई और तत्काल लिफ्ट ठीक करने के साथ ही रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

कांंपलेक्स में लिफ्ट न होने से बुजुर्ग एवं दिव्यांगों को संबंधित विभाग के तल संचालित हो रहे कार्यालय तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अधिकारियों के लिए संचालित की गई लिफ्ट में आमजन का प्रवेश वर्जित किया गया है। सीढ़िया चढ़ने में बुजुर्ग का दम फूल जाता है। कई बार स्थिति यह भी देखने को मिली की बुजुर्गों एवं दिव्यांगों को प्रथम तल से चौथे तल में चढ़ने में 10-15 मिनट लग जाते हैं। दिव्यांगों को संबंधित विभाग के कार्यालय तक पहुंचने में आमजन के सहारा लेना पड़ता है।

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