देहरादून. इन दिनों बुखार और वायरल फ्लू जैसी समस्या लोगों को देखनी को मिल रही है. एलोपैथी दवाइयां नुकसान करती हैं, इसलिए आप आयुर्वेदिक जड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. कुटकी उत्तराखंड में पाई जाने वाली ऐसी जड़ी है जो बुखार में बहुत काम आती है. यह लीवर को मजबूत करने और वजन घटाने में बहुत कारगर साबित होती है.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के आयुर्वेदिक चिकित्सक सिराज सिद्दीकी ने जानकारी देते हुए कहा है कि कुटकी हिमालय में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है, जो बाजार में साबुत या पाउडर के रूप में मिलती है. आयुर्वेद में माना जाता है कि यह 100 बीमारियों की एक ही दवा है.
इसमें हर तरह का ग्लाइकोसाइड पाया जाता है, जो शरीर के कई फंक्शन में काम आते हैं. इसीलिए यह बुखार में बहुत काम आती है. लीवर की कई बीमारियों के लिए भी कुटकी बहुत फायदेमंद है. दिल के मरीजों के लिए भी यह एक बेहतरीन जड़ी है.
ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, जुकाम और बुखार में उपयोग में लाई जाती है. नसों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए भी यह आयुर्वेदिक रामायण इलाज है. यह महिलाओं में मासिक धर्मों को भी ठीक करती है. यह हर्ब्स के रूप में फायदों का पिटारा है.
डॉ सिराज सिद्दीकी ने बताया कि कुटकी में कई एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं. यह स्किन में होने वाले संक्रमण, घाव, और चकत्ते को दूर करने का काम करती है. अगर आप किसी त्वचा की समस्या से जूझ रहे हैं तो यह त्वचा संबंधित समस्याओं को भी तुरंत आराम पहुंचाती है. वहीं कुटकी चेहरे को चमकदार भी बनाती है.
मौसम बदलने वाली बीमारियों में भी कुटकी बहुत काम आती है. यह सांस संबंधित दिक्कतों को तुरंत ठीक करती है और अचानक आने वाले बुखार को भी ठीक करती है. त्वचा पर घाव होने पर यह लगाया जाता है. हल्दी जैसे गुण इसमें भी पाए जाते हैं.
सोरायसिस, एग्जिमा और डैंड्रफ से परेशान लोग इसका पेस्ट बनाकर उपयोग करते हैं तो फायदा मिलता है. इसके एप्लीकेशन के साथ-साथ आप इसको खा भी सकते हैं यह मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है. वायरल हेपिटाइटिस की बीमारी में इसका उपयोग फायदेमंद साबित होता है.