कोच्चि। सिर्फ माफी मांगने से काम नहीं चलेगा, आपको छह महीने तक कानूनी सेवाएं देनी होगी। दरअसल, ये आदेश केरल हाईकोर्ट (Kerala HC) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कोट्टायम बार एसोसिएशन (Kottayam Bar Association) के 28 वकीलों को दिया। कोर्ट ने अदालत की अवमानना की कार्यवाही से राहत पाने के लिए ये फैसला सुनाया।
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले साल कोट्टायम में कोर्ट के अंदर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के खिलाफ ‘अपमानजनक’ नारे लगाने के लिए वकील हाईकोर्ट की जांच के दायरे में आए थे। जब हाईकोर्ट ने कार्यवाही शुरू की तो दोषी वकीलों में से 28 ने बिना शर्त माफी मांगने की पेशकश की।हमारा मानना है कि प्रतिवादियों को सिर्फ ‘माफी’ मांगकर बच निकलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि माफी मांगना सबसे आसान तरीका है। कोर्ट ने कहा कि 28 वकीलों को सुधारात्मक उपाय के तौर पर गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी सेवाएं देनी चाहिए।
वकीलों ने कहा कि वे ऐसा करेंगे, बशर्ते कि इससे उनके वकालत करने के अधिकार पर असर न पड़े। अदालत ने कहा, “इस मामले के तथ्यों को देखते हुए, हम प्रतिवादी 2 से 29 द्वारा मांगी गई बिना शर्त माफी को स्वीकार करना और उनके द्वारा की गई अवमानना को इस आधार पर समाप्त करना उचित समझते हैं कि वे छह महीने की अवधि के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कोट्टायम को गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त में अपनी सेवाएं देंगे।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये वकील अपने नियमित कानूनी करियर को जारी रख सकते हैं। बता दें कि यह घटना पिछले साल नवंबर में हुई थी, जब वकीलों के एक समूह ने कोट्टायम की सीजेएम विवीजा सेतुमोहन की अदालत में प्रवेश किया और वकीलों के साथ उनके कथित आचरण और उनमें से एक के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करने का विरोध करने के लिए उनके खिलाफ नारे लगाए।घटना की रिपोर्ट मिलने के बाद, केरल उच्च न्यायालय ने दोषी वकीलों को अवमानना नोटिस जारी किए।