कर्नाटक बंद, 44 फ्लाइट्स कैंसिल,50 प्रदर्शनकारी हिरासत में

बेंगलुरु/नई दिल्ली: तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी के जल बंटवारे के विरोध में आज कर्नाटक बंद है। कन्नड़ और किसान संगठनों के प्रमुख कन्नड़ ओक्कूटा संघ ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे का बंद बुलाया है।विपक्षी भाजपा और जनता दल सेक्यूलर ने भी बंद के समर्थन में राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन किया। कर्नाटक पुलिस ने अब तक 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।

प्रदर्शनकारी हाईवे, टोल गेट्स, रेल सेवाएं बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं। दुकानें, शॉपिंग मॉल, मूवी थिएटर्स, होटल और रेस्त्रां बंद हैं। मेट्रो-बस सर्विस चालू हैं, लेकिन भीड़ न के बराबर है।बेंगलुरु और मांड्या में प्रशासन ने स्कूल-कॉलेज में छुट्टी का ऐलान किया है। केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के PRO के मुताबिक, बेंगलुरु आने-जाने वाली 44 फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं।CM सिद्धारमैया राज्य के डिप्टी CM और सिंचाई मंत्री डीके शिवकुमार के साथ मीटिंग कर रहे हैं। इससे पहले 26 सितंबर को बेंगलुरु बंद के दिन 200 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे।कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संस्थाएं और विपक्षी पार्टियां इसी फैसले का विरोध कर रही हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी से जुड़ा यह विवाद 140 साल पुराना है।बेंगलुरु अर्बन, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, रामानगर और हसन में धारा 144 लागू की गई है। यानी 4 से ज्यादा लोग एक साथ एक जगह पर इकट्‌ठा नहीं हो सकते हैं। इन जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं।

कर्नाटक के पूर्व सीएम एच डी कुमारस्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- जब जल, भाषा और पानी का सवाल आता है, तो सभी को एकजुट होना चाहिए। कन्नड़ परिवार की एकजुटता पड़ोसी राज्यों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। सरकार को कन्नड़ भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए। जिन प्रदर्शनकारियों को पहले से हिरासत में लिया गया है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।बेंगलुरु के इंड्रस्टियलिस्ट ने एक हफ्ते में होने वाले दो बंद के दौरान करीब 4,000 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। उनका कहना है कि इससे अभी-अभी महामारी से उबरी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। इसलिए बंद की जगह विरोध प्रदर्शन की परमिशन दी जानी चाहिए।

दो दिन पहले किए गए विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने सरकार से कहा था कि हमारी 5 मांगें पूरी करें। इन समितियों ने सरकार को फैसला लेने के लिए तीन दिन का समय दिया था। ऐसा न होने पर संगठन ने विरोध तेज करने की चेतावनी भी दी थी।वहीं, कर्नाटक सरकार की तरफ से परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने फ्रीडम पार्क में प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर 5 मांगों वाला ज्ञापन लिया था। इन मांगों में तमिलनाडु को पानी न देना, संकट काल में आकलन करने चुनाव आयोग जैसी संस्था बनाने, मेकेदातु परियोजना लागू करने और किसानों-समर्थकों के खिलाफ मामले वापस लिया जाना शामिल है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कावेरी जल विवाद को लेकर विपक्षी दलों भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) पर राजनीति करने का आरोप लगाया था। मैसूरु में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा था कि कोई भी बंद बुलाया जा सकता है, हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, लेकिन हम उन्हें परेशान नहीं करेंगे, उन्हें बंद बुलाने दीजिए।वहीं, कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने कहा था कि तमिलनाडु के लोगों ने 12,500 क्यूसेक पानी मांगा है। फिलहाल हम 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने की स्थिति में भी नहीं है।

800 किमी लंबी कावेरी नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट के कोडागू जिले में ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है। यह तमिलनाडु होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है। कावेरी के बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। दोनों राज्यों के बीच कावेरी के पानी से सिंचाई की जरूरतों को लेकर लगभग 140 साल से ज्यादा समय से विवाद है।

तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी के पानी को लेकर विवाद में कर्नाटक सरकार ने बुधवार 13 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। CM सिद्धारमैया की अध्यक्षता में बेंगलुरु के विधानसभा में यह स्पेशल इमरजेंसी मीटिंग जारी है। इस पर उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा था कि कर्नाटक सरकार कावेरी नदी का पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है।

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