नई दिल्ली. जापान के प्रमुख मेगाबैंकों जैसे मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप (MUFG), सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप (SMFG) और मिजुहो फाइनेंशियल, के भंडार नकदी से भरे हुए हैं. रिकॉर्ड तोड़ मुनाफे क्रॉस-शेयरहोल्डिंग्स बेचकर वे अभी और धन जुटा रहे हैं. अपने पास पड़ी इस अथाह नकदी को वे भारत और अमेरिका में खपाना चाहते हैं.
अमेरिका जहां दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वहीं भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है. वैसे दो दोनों देशों में कई वर्षों से इन बैंकों की मौजूदगी है, लेकिन अब एक बार फिर जापान के मेगा बैंक अमेरिका और भारत में आक्रामक तरीके से निवेश कर रहे हैं.
उच्च विकास दर और उद्योगों व भारत के मध्यम वर्ग में बढ़ती ऋण मांग ने इन बैंकों के लिए भारत को निवेश का सबसे हॉट डेस्टिनेशन बना दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जापानी मेगाबैंक स्थानीय कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदकर अपनी अतिरिक्त नकदी का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं.
भारत में बड़ी मात्रा में निवेश इन बैंकों को, टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज के अपने मूल्यांकन को और बेहतर बनाने के दबाव से भी छुटकारा मिल रहा है. पिक्टेट एसेट मैनेजमेंट जापान लिमिटेड की सीनियर फेलो नाना ओत्सुकी का कहना है कि इन बैंकों की निवेश रणनीति में विलय और अधिग्रहण (M&A) शामिल हैं. बैंक विकास के अगले स्तर पहुंचने को ये भारी निवेश कर रहे हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, तीनों बैंकों के पास बड़ी नकदी है. मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप का लक्ष्य मार्च 2027 तक अपने ग्राहकों की हिस्सेदारी में 700 बिलियन येन (लगभग ₹47,000 करोड़) की कटौती करना है।
SMFG का मार्च 2029 तक 600 बिलियन येन और मिजुहो का मार्च 2026 तक 300 बिलियन येन की क्रॉस-शेयरहोल्डिंग कम करने का लक्ष्य है. मिजुहो के सीईओ मसाहिरो किहारा ने कहा, “हम अब पूंजी निर्माण के चरण से आगे बढ़कर विकास निवेश और शेयरधारकों के रिटर्न को बढ़ाने के बीच संतुलन बना रहे हैं.”
भारत इन बैंकों के लिए निवेश का सबसे हॉट डेस्टिनेशन बन गया है. भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि के चलते विभिन्न उद्योगों में पूंजी निवेश के लिए ऋण की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा, बढ़ती उपभोक्ता मांग ने उधार (क्रेडिट) के लिए नए अवसर पैदा किए हैं.
MUFG ने भारत को अपनी एशियाई विकास रणनीति का प्रमुख हिस्सा बनाया है. बैंक का लक्ष्य भारत में अपने ऋण जोखिम को अगले कुछ वर्षों में $30 बिलियन (लगभग ₹2.5 लाख करोड़) तक करना है. MUFG ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप जैसे बड़े समूहों के साथ साझेदारी की है.
MUFG ने हाल ही में भारतीय शैडो बैंक DMI फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड में $333 मिलियन (₹2,700 करोड़) का निवेश किया, जिससे कंपनी का मूल्यांकन $3 बिलियन पहुंच गया. MUFG के वरिष्ठ अधिकारी यासुशी इतागाकी ने कहा, “अगर अच्छे अवसर मिलते हैं, तो हम बड़ी रकम खर्च कर सकते हैं.”
भारत में निवेश बैंकिंग के क्षेत्र में भी जापानी कंपनियां सक्रिय हैं. मिजुहो और नोमुरा होल्डिंग्स ने भारतीय निवेश बैंक अवेंदस कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड का नियंत्रण हासिल करने के लिए बोली लगाई है. अवेंदस में KKR & Co. अपनी 63% हिस्सेदारी $400 मिलियन (लगभग ₹3,300 करोड़) में बेचने की योजना बना रहा है.
जापानी बैंक भारत के मध्यम वर्ग में बढ़ती ऋण मांग को एक बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं. घर खरीदने, वाहन लेने और उपभोक्ता सामानों के लिए क्रेडिट की मांग तेजी से बढ़ रही है. SMFG ने 2021 में ₹15,000 करोड़ में फुलर्टन इंडिया क्रेडिट कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी थी और 2024 में ₹5,800 करोड़ का अतिरिक्त निवेश किया है. यह यूनिट मुख्य रूप से आवास और वाहन ऋण में विशेषज्ञता रखती है.
SMFG के ग्लोबल बैंकिंग यूनिट के सह-प्रमुख योशिहिरो हयाकुतोमे ने कहा, “भारत की उच्च आर्थिक वृद्धि को कैप्चर करने के लिए हम आवश्यक संसाधन आवंटित करते रहेंगे.” जापानी बैंक भारत में निवेश के जरिए न केवल अपने विस्तार को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि विश्व स्तर पर अपनी पहचान को भी मजबूत कर रहे हैं.