नई दिल्ली। ईरान के मिसाइल हमले का इजरायल तगड़ा जवाब देने की तैयारी में जुटा है। इजरायल का कहना है कि इस बार ईरान को संभालने तक का मौका नहीं दिया जाएगा। इजरायल अपनी जवाबी कार्रवाई में ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला करने की तैयारी में है। हमास नेता इस्माइल हानिया की तरह ईरान के बड़े नेता की हत्या भी हो सकती है।
ईरान के तेल और परमाणु कार्यक्रम पर भी इजरायल हमला कर सकता है। इजरायली अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि हमारी जवाबी कार्रवाई में ईरान का बुनियादी ढांचा निशाने पर होगा। इजरायल ईरान के पावर प्लांट और तेल संयंत्रों को निशाना बना वहां की अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है।
एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली अधिकारियों ने बताया कि इजरायल ईरान के बड़े मिसाइल हमले का कुछ ही दिनों में करारा जवाब देगा। इजरायल ईरान के अंदर तेल उत्पादन सुविधाओं और अन्य रणनीतिक स्थलों को निशाना बना सकता है। ईरान ने कहा कि अगर इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की तो उसका भी जवाब दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला कर सकता है।
इजरायल अपने उन्नत लड़ाकू विमानों से ईरान पर हमले की योजना पर जुटा है। इसके अलावा खुफिया एजेंसी मोसाद हमास नेता इस्माइल हानिया के तर्ज पर कोई बड़ा ऑपरेशन भी कर सकती है।एक्सियोस को एक इजरायली अधिकारी ने बताया, “हमारे सामने यह बड़ा सवाल है कि ईरान पर हमला किस तरह से किया जाए। मगर हमला पूरी ताकत से किया जाएगा। इजरायल के सभी मंत्रियों ने भी कहा कि हमला ऐसा हो कि ईरान अपने हमले पर खेद जताने पर मजबूर हो जाए।
एक अक्तूबर यानी मंगलवार की रात ईरान ने इजरायल पर 181 बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला किया। इन मिसाइलों में से कई को इजरायल और अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम ने रोक दिया। हालांकि कुछ मिसाइलें इजरायल के वायुसेना बेस, मोसाद मुख्यालय और खुली जगहों पर गिरीं। एक इजरायली रक्षा अधिकारी के मुताबिक मोसाद मुख्यालय को निशाना बना दर्जनों मिसाइलें दागी गईं थीं। हालांकि कोई भी मिसाइल परिसर में नहीं गिरी।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को तेल अवीव में आईडीएफ मुख्यालय में इजरायल के सुरक्षा प्रमुखों के साथ एक बड़ी बैठक की। बैठक में ईरान को कैसे जवाब दिया जाए… इस पर चर्चा हुई।यरुशलम में बुधवार को एक बंकर में इजरायली सुरक्षा कैबिनेट की घंटों बैठक चली। बैठक में फैसला लिया गया कि इजरायल सैन्य तरीके से ईरान पर हमला करेगा।इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने आज रात एक बड़ी गलती की है। उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। जो कोई भी हम पर हमला करेगा, हम उन पर हमला करेंगे।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि इस बार इजरायल ईरान पर बड़ा जवाबी हमला कर सकता है। ऐसी स्थिति में ईरान ने भी पलटवार की बात कही है। अगर ऐसा होता है तो युद्ध का बड़े पैमाने पर फैलना निश्चित है। पहली बार दोनों देश युद्ध के इतने करीब पहुंचे हैं।ईरान को जवाब देने के मुद्दे पर इजरायल का विपक्ष भी एकजुट है। इजरायल में लगातार ईरान को सबक सिखाने की बात कही जा रही है।
विदेश मंत्री इजराइल कैट्ज ने कहा, “अयातुल्ला शासन ने लाल लकीर पार कर दी है। इजरायल अपने नागरिकों के खिलाफ इस हमले पर चुप नहीं रहेगा।”रक्षा मंत्री गैलेंट ने कहा, “ईरान ने यह सबक नहीं सीखा है कि जो लोग इजराइल पर हमला करते हैं, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है।”विपक्षी नेता यायर लैपिड ने कहा कि ईरान के खिलाफ इजरायल की प्रतिक्रिया कठोर होनी चाहिए।
इससे ईरान, यमन, सीरिया, लेबनान और गाजा को स्पष्ट संदेश जाना चाहिए।इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने कहा कि ऐसा मौका 50 साल में एक बार आता है। हमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने की जरूरत है। हमें ईरान की ऊर्जा सुविधाओं पर हमला करने की जरूरत है।
अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले के समर्थन में नहीं हैं। मगर हमले से पहले इजरायल अमेरिका को अपने विश्वास में लेना चाहता है। बाइडन ने कहा कि इजरायल ईरान में क्या करने जा रहा है… इस पर हम चर्चा करेंगे। बाइडन ने ईरान पर और प्रतिबंध लगाने की बात भी कही है।
इजरायल को यह भी पता है कि ईरान पर हमला किया तो वह भी पलटवार करेगा। ऐसे में इजरायल ईरानी हमले के खिलाफ अमेरिकी सेंट्रल कमांड से रक्षात्मक सहयोग चाहता है। वहीं इजरायली वायुसेना की खातिर अधिक गोला-बारूद और अन्य सैन्य साजो-सामान भी अमेरिका से चाहता है।
अमेरिका मध्य-पूर्व में सैन्य तैनाती बढ़ाने पर विचार कर रहा है। उसने अपनी वायुसेना और नौसेना को भी अलर्ट पर रखा है। जी-7 देशों के साथ भी अमेरिका ने चर्चा की है। ऐसे में आपात स्थिति में अमेरिका और उसके सहयोगी इजरायल को सैन्य मदद देने की तैयारी में जुटे हैं।
इसी साल एक अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में इजरायल ने ईरानी वाणिज्य दूतावास पर एयर स्ट्राइक की थी। हमले में सात ईरानी जनरलों की मौत हुई थी। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर करीब 300 मिसाइल और ड्रोनों से हमला किया था। मगर इजरायल को कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा था।
इजरायल ने उस वक्त भी जवाबी हमले की बात कही थी। मगर अमेरिका के भारी दबाव की वजह से इजरायल ने सीमित हमला किया था। इसमें ईरान को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा था। अमेरिका ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी।
एक अक्तूबर यानी मंगलवार को ईरानी हमले के बाद अमेरिका की भाषा बदल गई है। अमेरिका ने इस बार संयम बरतने की बात नहीं की। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बुधवार को कहा कि ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर युद्ध बढ़ता है तो अमेरिका भी इसमें शामिल हो सकता है।