मॉस्को: रूस की राजधानी मॉस्को में हुए भीषण आतंकी हमले में 60 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 145 लोग घायल हैं। ये हमला मॉस्को के पास क्रोकस सिटी हॉल में हुई, जिसके कॉन्सर्ट हॉल में लोग रूसी रॉक बैंड पिकनिक का शो देखने के लिए जमा हुए थे। इसी दौरान ऑटोमैटिक हथियार लिए चार से पांच आतंकवादी हॉल में घुस आए और भीड़ के ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दी।
हाल में मौजूद लोग जान बचाने के लिए जमीन पर रेंग-रेंग कर बढ़ रहे थे। खास बात ये है कि आतंकियों ने जिन क्लाशनिकोव राइफल्स का इस्तेमाल किया उसे रूस ने ही बनाया है और यह दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों की लिस्ट में शामिल है। रूस की जांच एजेंसी ने हथियारों के बारे में जानकारी दी है।
रूसी मीडिया आउटलेट के अनुसार, रूस की जांच समिति ने बताया है कि क्रोकस सिटी हॉल में लोगों पर गोलियां बरसाने वाले आतंकवादी क्लाशनिकोव राइफलों से लैस थे। इसे आतंकियों का पसंदीदा हथियार कहा जाता है। हमले के बाद जांच करने पहुंची रूसी टीम ने घटनास्थल से मैगजीन, खाली गोलियां और जैकेट बरामद हुए हैं। जांच टीम ने हमले की जगह का वीडियो भी जारी किया है। इसमें जांच टीम के सदस्य भारी मात्रा में गोलियों के खोके इकठ्ठा करते नजर आ रहे हैं।
ब्रिटैनिका इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, क्लाशनिकोव राइफल को सोवियत काल में बनाया गया था। इसका शुरुआती डिजाइन मिखाइल टिमोफेयेविच क्लाशनिकोव ने 1947 में तैयार किया था, इसीलिए इसे एके-47 नाम से जाना जाता है।
इसे पहली बार 1949 में सोवियत सेना में शामिल किया गया। चलाने में आसान, मजबूत और कठिन हालात में भी भरोसेमंद इस हथियार ने जल्द ही लोकप्रियता हासिल कर ली। 700 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार के साथ इसकी चक्रीय फायरिंग रेज 600 राउंड प्रति मिनट है। ये सेमीऑटोमैटिक और ऑटोमैटिक दोनों तरह से फायर करने में सक्षम है।
एके-47 का निर्माण दो मूल डिज़ाइनों में किया गया था। एक लकड़ी के स्टॉक के साथ और दूसरा फोल्डिंग मेटल स्टॉक के साथ, जिसे एकेएस कहा जाता है। 1959 की शुरुआत में सोवियत सेना में एकेएम ने की जगह ली। शुरुआत में इस बंदूक में कुछ खामियां थीं, जिसे 70 के दशक में दूर किया गया।
1974 में इसका नया संस्करण आया जिसे एके-74 कहा गया। एके-47 का बाद में आया वैरिएंट एके-74एम 21वीं सदी तक रूसी सेना का प्रमुख हथियार रहा। इस बंदूक का निर्माण रूस के इजेवस्क में इजमाश आर्मामेंट्स कंपनी द्वारा किया जाता है।