रुद्रप्रयाग: श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी भी प्रकार से कोई पशु क्रूरता न हो तथा पशु क्रूरता की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में जिला कार्यालय एनआईसी कक्ष में पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक आयोजित की गई जिसमें पीपल फाॅर एनिमल की सदस्य श्रीमती गौरी मौलखी भी मौजूद रही।
बैठक में जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के साथ किसी भी प्रकार से कोई पशु क्रूरता न हो इसकी निरंतर निगरानी रखने के लिए म्यूल टास्क फोर्स का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि इस वर्ष यात्रा मार्ग में 7 हजार तक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण कराने के निर्देश दिए। इसके लिए उन्होंने मार्च से ही रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए तथा संबंधित क्षेत्रों में घोड़े-खच्चर संचालकों के साथ आवश्यक बैठक करने के निर्देश दिए।
उन्होंने निर्देश दिए हैं कि घोड़े-खच्चरों के लिए जो भी स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र बनाया जाएगा वह केवल एक माह के लिए ही तैयार किया जाए ताकि किसी भी घोड़े-खच्चर के साथ किसी भी तरह से कोई पशु क्रूरता न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि गौरीकुंड घोड़ा-पड़ाव के ऊपर सेंचुरियन क्षेत्र में किसी भी प्रकार से किसी भी घोड़े-खच्चर के डेरे एवं रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने वन विभाग, पुलिस, उपजिलाधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को घोड़े-खच्चर संचालकों के साथ आवश्यक बैठक करने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने प्रबंधक जीमैक्स को भी निर्देश दिए हैं कि यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के लिए चिप (इंटरनल टैग) तैयार करने के निर्देश दिए जिसमें घोड़े-खच्चरों का पूरा विवरण तैयार किया जाए तथा घोड़े-खच्चरों के रजिस्ट्रेशन व स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की वैद्यता रोस्टर के संबंध में विवरण संबंधित जानकारी घोड़े-खच्चर संचालक को भी उपलब्ध कराई जाए ताकि घोड़े-खच्चर संचालक को पूर्ण जानकारी उपलब्ध रहे। बिना पंजीकरण के घोड़े-खच्चरों का संचालन किसी भी दशा में न किया जाए।
पीपल फाॅर एनिमल की सदस्य श्रीमती गौरी मौलखी ने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी भी तरह से कोई पशु क्रूरता न हो इस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का सुझाव दिया तथा यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों का सूर्यास्त के बाद संचालन न किया जाए तथा घोड़े-खच्चरों को रहने के लिए उचित व्यवस्था करने व घोड़े-खच्चर संचालकों के साथ आवश्यक बैठक करते हुए उन्हें उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया गया।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. आशीष रावत, पुलिस उपाधीक्षक हर्षवर्धनी सुमन, अधिशासी अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग मीनल गुलाटी, डीडीएमए विनय झिंक्वाण आदि मौजूद रहे।