भारत ने चीन के मुंह से छीन लिया धंधा!

नई दिल्‍ली. आज से दस साल पहले शुरू हुई ‘मेक इन इंडिया’ पहल का जबरदस्‍त सफलता मिली है. इसी पहल का नतीजा है कि पिछले 10 वर्षों में हर घंटे एक स्टार्टअप लॉन्च हुआ है. मेक इन इंडिया से करीब 15 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.

सरकार ने बुधवार को ‘मेक इन इंडिया’ की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर आंकड़े साझा कर बताया कि शुरू में विदेश ही देश में भी शक की नजर से देखी जा रही इस पहल ने कैसे भारत को एक प्रमुख वैश्विक मैन्‍युफेकचरिंग हब बना दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2014 को भारत को एक प्रमुख वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने के उद्देश्‍य के साथ ही मेक इन इंडिया की शुरूआत की थी.

मेक इन इंडिया की दसवीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, “आज हम #10YearsOfMakeInIndia मना रहे हैं. मैं उन सभी को बधाई देता हूं जो पिछले एक दशक से इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. ‘मेक इन इंडिया’ 140 करोड़ भारतीयों के सामूहिक संकल्प को दर्शाता है, जो हमारे देश को मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन का पावरहाउस बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

यह सराहनीय है कि विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात बढ़ा है, क्षमताएं निर्मित हुई हैं, और इस प्रकार हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है. भारत सरकार ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. भारत में सुधार की दिशा में किए गए कदम भी जारी रहेंगे. मिलकर हम आत्मनिर्भर और विकसित भारत का निर्माण करेंगे!”

बीते 10 वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या 2014 के 350 से बढ़कर 1.48 लाख हो गई है. सरकार ने यह भी बताया कि 45 प्रतिशत स्टार्टअप्स टियर II और टियर III शहरों से आए हैं, और 2014 के बाद से 1 करोड़ से अधिक पेटेंट दिए गए हैं.

मेक इन इंडिया पहल का एमएसएमई क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में बड़ा योगदान है. उद्यम पोर्टल पर 4.91 करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हैं, जिनमें से 1.85 करोड़ महिला स्वामित्व वाली इकाइयां हैं. इन इकाइयों ने 21.17 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं. खास बात है कि एमएसएमई ने 2022-23 में भारत की जीडीपी में 30.1 फीसदी का योगदान दिया है.

एमएसएमई मंत्रालय की राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने X पर पोस्ट किया, “मेक इन इंडिया ने मैन्युफैक्चरिंग क्रांति को गति दी है, नवाचार को प्रोत्साहित किया है और विशेष रूप से एमएसएमई के लिए स्थानीय निर्माण और व्यवसाय को बढ़ावा दिया है.”

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने भी मेक इन इंडिया की 10 साल की यात्रा में “नए एमएसएमई थ्रेसहोल्ड्स, जो लाभ बनाए रखते हुए विकास को बढ़ावा देंगे,” जैसी प्रमुख प्रगति को रेखांकित किया. 2020 में एमएसएमई मंत्रालय ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज की परिभाषा को संशोधित किया था. अब इसमें 250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर और 50 करोड़ रुपये तक के निवेश को शामिल किया गया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में खादी की बिक्री 1.55 लाख करोड़ रुपये के मूल्य तक पहुंच गई है. पीएलआई योजना के तहत 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश है. 8.5 लाख से अधिक नौकरियां उत्पन्न हुई हैं और निर्यात में 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है. 2020 में नेशनल एक्शन प्लान फॉर टॉय्स लागू होने के बाद खिलौनों के निर्यात में 239 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

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