नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में लगातार तीन सत्रों से तेजी है। बुधवार निफ्टी50 इंडेक्स 108.65 अंक यानी 0.47% की बढ़त लेकर बंद हुआ। मंगलवार को इसमें 2.4% तक की धुआंधार रफ्तार देखने को मिली थी। यह बढ़त इसे अप्रैल की शुरुआत के स्तर पर ले आई। ब्लूमबर्ग के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ के बाद भारत नुकसान को पूरा करने वाला पहला बड़ा बाजार बन गया है।
एशियाई बाजारों में टैरिफ के बाद 3% से ज्यादा की गिरावट आई है। लेकिन, भारत ने तेजी से रिकवरी की है। इससे पता चलता है कि भारत वैश्विक बाजार में एक सुरक्षित जगह के रूप में देखा जा रहा है। भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण निवेशक इसे पसंद कर रहे हैं। निवेशकों को लगता है कि भारत वैश्विक मंदी का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है। इससे भारत को फायदा हो सकता है। कई कंपनियां चीन से बाहर निकलकर भारत में अपना कारोबार शुरू कर सकती हैं। भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहा है। जबकि चीन जवाबी कार्रवाई कर रहा है।
द ग्लोबल सीआईओ ऑफिस के सीईओ गैरी डुगन ने कहा, ‘हम अपने पोर्टफोलियो में भारत को ज्यादा महत्व देते हैं।’ उन्होंने ब्लूमबर्ग को बताया कि भारत में अच्छी इकनॉमिक ग्रोथ हो रही है। चीन से सप्लाई चेन के हटने से भी भारत को फायदा होगा। इसलिए भारतीय शेयर बाजार को मध्यम अवधि में सुरक्षित माना जा रहा है।
पिछले दो तिमाहियों में निफ्टी50 में लगभग 10% की गिरावट आई थी। इसकी वजह आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार, ऊंचे वैल्यूएशन और विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार पैसा निकालना था। इस साल विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 16 अरब डॉलर से ज्यादा निकाले हैं। 2022 में उन्होंने 17 अरब डॉलर निकाले थे, जो एक रिकॉर्ड था।
हालांकि, अब निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। इसकी वजह शेयरों के कम दाम, RBI की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट है। कच्चे तेल की कीमतें कम होने से भारत को बहुत फायदा होगा। भारत तेल का आयात करता है।ब्लूमबर्ग के डेटा के अनुसार, निफ्टी50 अभी 18.5 गुना पर कारोबार कर रहा है। यह पिछले 12 महीनों की अनुमानित कमाई के आधार पर है। इसका पांच साल का औसत 19.5 है। सितंबर के अंत में यह 21 गुना पर था।
सोसाइटी जेनरल SA के रणनीतिकार रजत अग्रवाल ने कहा, ‘भारत पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। लेकिन, व्यापार युद्ध के खतरे के बीच यह बेहतर स्थिति में है। कारण है कि अमेरिका को होने वाले रेवेन्यू में भारत का सीधा योगदान कम है।’ उन्होंने कहा कि अगर तेल की कीमतें कम रहती हैं तो भारतीय शेयर बाजार को फायदा होगा।
ब्लूमबर्ग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल अमेरिका के कुल आयात में भारत का हिस्सा सिर्फ 2.7% था। जबकि चीन का हिस्सा 14% और मेक्सिको का 15% था।भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। यहां की कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। इसलिए निवेशक भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। भारत सरकार भी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। इससे निवेशकों का भरोसा और बढ़ रहा है।
भारत में राजनीतिक स्थिरता है। यहां की सरकार निवेशकों के लिए अनुकूल नीतियां बना रही है। इससे भी निवेशकों को फायदा हो रहा है। भारत एक बड़ा बाजार है। यहां के लोगों की क्रय शक्ति बढ़ रही है। इससे कंपनियों को अपना सामान बेचने में आसानी हो रही है।
भारत में कुशल और सस्ती श्रम शक्ति उपलब्ध है। इससे कंपनियों को उत्पादन लागत कम करने में मदद मिल रही है। भारत में अंग्रेजी बोलने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। इससे विदेशी कंपनियों को यहां कारोबार करने में आसानी होती है।
भारत में बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है। सड़कों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों का निर्माण हो रहा है। इससे माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसानी हो रही है। भारत में दूरसंचार और इंटरनेट की सुविधा भी तेजी से बढ़ रही है। इससे कंपनियों को अपना कारोबार चलाने में आसानी हो रही है।
भारत सरकार ने मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों का मकसद भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना, नए व्यवसायों और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। इन कार्यक्रमों से भी निवेशकों को फायदा हो रहा है।
भारत एक विकासशील देश है। यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए निवेशक भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। भारत आने वाले सालों में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन सकता है।