80 हजार से ज्यादा भवनों की गलत मैपिंग

देहरादून :राजधानी के आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों के करोड़ों रुपये की लागत से कराए जा रहे जीआईएस सर्वे में तमाम खामियां सामने आ रही है। स्थिति यह है कि 80 हजार से अधिक भवनों का जीआईएस मैपिंग में झोल है। कहीं दो मंजिला भवन को एक मंजिल दर्शा दिया गया, तो कहीं व्यवसायिक भवन को आवासीय में दर्ज कर लिया गया। कुछ की माप सही नहीं है तो कई प्रापर्टी के फोटो ही गायब हैं। अब निगम की टीम धरातल पर पहुंचकर मिलान कर रही है तो सर्वे को दुरुस्त किया जा रहा है।

बता दें कि राजधानी देहरादून समेत रुद्रपुर, हल्द्वानी और हरिद्वार में ड्रोन के जरिये जीआईएस (जियोग्राफिक इन्फॉरमेशन सिस्टम) आधारित सर्वे कराया जा रहा है। इसका उद्देश्य जियो टैगिंग के जरिये सभी प्रॉपर्टी की इंटरनेट के जरिये जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि निगम अधिकारियों के साथ ही संबंधित व्यक्ति भी अपनी प्रॉपर्टी का ऑनलाइन अवलोकन कर सके।

इससे निगम को टैक्स चोरी रोकने समेत अन्य तरह के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। तीनों जगह के लिए करीब सात करोड़ में यह सर्वे पूरा होना था। इसके तहत देहरादून में करीब साढ़े तीन लाख व्यवसायिक और आवासीय भवनों का सर्वे का काम किया जा रहा है। राजधानी के 100 वार्डों में से अभी करीब 15 वार्डों के सर्वे का काम चल रहा है।

लेकिन दिक्कत यह है कि अभी तक हुए करीब तीन लाख भवनों के सर्वे का धरातल पर मिलान किया जा रहा है तो उनमें तमाम खामियां सामने आ रही हैं। अधिकारियों की माने तो 15 से 30 प्रतिशत तक भवनों की मैपिंग में सटीक जानकारी नहीं है।

अब ड्रोन और सेटेलाइट मैपिंग से हुए इस सर्वे का सत्यापन करने और त्रुटियां बताने में नगर निगम के कर विभाग की टीम को पसीना बहाना पड़ रहा है। इसके साथ ही काम में हो रही देरी के चलते इस योजना का मकसद भी पूरा नहीं हो पा रहा है।

उधर, इस बाबत नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि निदेशालय की ओर से जीआईएस कंसोरिटियम कंपनी को सर्वे का काम दिया गया है। अलग-अलग जगहों पर 15 से लेकर 30 प्रतिशत भवनों की मैपिंग में खामियां मिली है। जिन्हें कंपनी दुरुस्त करा रही है। विभिन्न स्तर पर कार्य का सत्यापन होने के बाद भी कंपनी को भुगतान किया जाना है।

सैन्य क्षेत्र से तीन किलोमीटर की हवाई दूरी में ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता है। इसके चलते 40 प्रतिशत क्षेत्र में ही ड्रोन से सर्वे किया जा सका है। बाकी 60 प्रतिशत क्षेत्र में सेटेलाइट सर्वे किया गया है।

इस सर्वे को पूरा करने की अवधि कई बार बढ़ाई जा चुकी है। अभी भी सर्वे बाकी है। वहीं खामियां भी धीरे-धीरे दुरुस्त होने में समय लगेगा। दिसंबर माह तक काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। अब देखना यह है कि तय समय पर काम पूरा होता है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *