इस्लामाबादः जेल में बंद इमरान खान पाकिस्तान की शहबाज सरकार के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं. जेल से ही उन्होंने ऐसा जाल बिछाया कि पाकिस्तान सरकार की हालत खराब हो गई. रविवार को इमरान के हजारों समर्थक अपने नेता की रिहाई की मांग करते हुए इस्लामाबाद की सड़कों पर उतरे. संसद की ओर मार्च करने लगी, इसी बीच पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई.
इसके बाद जमकर बवाल हुआ. इमरान के समर्थकों ने पुलिस की गाड़ियां तोड़ दीं. कई गाड़ियों में आग लगा दी. देर रात तक ये बवाल जारी था. इमरान की पार्टी का आरोप है कि पुलिस ने उनके कार्यकर्ताओं पर गोलियां चलाईं, जिसके बाद कार्यकर्ता उग्र हुए. खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने ऐलान किया कि अगर इमरान खान को 1-2 हफ्ते में रिहा नहीं किया गया तो हम खुद उन्हें रिहा करवा लेंगे.
इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने एक्स पर लिखा, हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं पर गोलीबारी की निंदा करते हैं. यह अघोषित मार्शल लॉ है. पाकिस्तानियों को ऐसे नजारे देखने की आदत हो गई है. इस्लामाबाद में हमारे कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने गोलियां चलाईं. कायरतापूर्ण हरकत की. ये शर्मनाक है और हकीकी आजादी के हमारे संकल्प को और मजबूत करेगा. हम अपने नेता की रिहाई तक शांति से नहीं बैठेंगे.
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान के समर्थकों ने इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में रैली निकाली. वे संसद की ओर कूच करना चाहते थे. पहले कई बार इसकी अनुमति नहीं दी गई. पार्टी नेता हम्माद अजहर ने कहा-देश आज कानून का राज चाहता है. हम इमरान खान की रिहाई सुनिश्चित करके रहेंगे. इमरान के हजारों समर्थक इस्लामाबाद में देर रात तक जमा थे. वे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. संसद की ओर कूच करना चाहते हैं, वहीं पुलिस उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है.
इस बीच इमरान खान ने रविवार को कहा कि वह अपना पूरा जीवन जेल में बिताने के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक उन्हें सही मायने में आजादी नहीं मिल जाती, वे संघर्ष करते रहेंगे. इमरान 400 दिन से जेल में बंद हैं. इमरान को पिछले साल 5 अगस्त को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था. तब से वह अलग-अलग मामलों में जेल में बंद हैं.
तोशाखाना भ्रष्टाचार मामला पाकिस्तान के चुनाव आयोग की ओर से दायर किया गया था. पाकिस्तान सरकार के मंत्रियों का कहना है कि इमरान की आजादी दंगों के लिए उनकी बिना शर्त माफी से जुड़ी है, जिसमें पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर राज्य और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था. हालांकि, इमरान नौ मई 2023 की हिंसा की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं.