चंपावत : बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। उच्च हिमालय में कालापानी के पास ने बहने वाली शारदा का पानी बढ़ गया है। मंगलवार को शारदा का पानी 11 हजार क्यूसेक के पार पहुंच गया था। ग्रीष्मकाल की शुरुआत के समय नदी पांच हजार क्यूसेक के आसपास थी। शीतकाल में बर्फ जमने की वजह से शारदा चार हजार क्यूसेक तक पहुंच जाती है।
भारत-नेपाल का सीमांकन करने वाली शारदा को नेपाल में महाकाली कहा जाता है। भारत में उद्गम स्थल से लेकर पंचेश्वर तक इसे काली और उसके आगे शारदा नाम से जाना जाता है। इस बार उत्तराखंड समेत समूचा उत्तर भारत वर्षा के लिए तरस गया है। मई व जून में उच्च हिमालय में हिमपात भी नहीं हुआ है। जिस कारण पिछले 10 वर्षों में सर्वाधिक गर्मी इस बार देखने को मिली है।
बढ़ते तापमान के कारण हिमालय की बर्फ तेजी से पिघल रही। जिस कारण हिम नदियों का जल स्तर बढ़ गया है। जून शुरुआत में शारदा में 10,661 क्यूसेक पानी था। 18 जून को यह बढ़कर 11,652 क्यूसेक पहुंच गया। शीतकाल में तापमान में गिरावट के बाद बर्फ नहीं पिघलने से शारदा का पानी निचले स्तर पर पहुंच जाता है। बीते 30 जनवरी को शारदा में 4,279 क्यूसेक पानी था। 23 अप्रैल को बढ़कर 5,102 क्यूसेक पहुंच गया था।
बनबसा स्थित शारदा बैराज से पड़ोसी देश नेपाल के अलावा उत्तराखंड के बनबसा, ऊधम सिंह नगर और उत्तर प्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई के पानी दिया जाता है। उत्तर प्रदेश के बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, हरदोई आदि शारदा के पानी से सींचे जाते हैं।
गर्मी बढ़ने से सिंचाई के पानी की मांग भी बढ़ गई है। नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद भी मांग के अनुरूप पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही। नेपाल को एक हजार क्यूसेक के सापेक्ष 500 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। 350 क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा जा रहा, ताकि जंगली जानवरों की प्यास बुझ सके। उप्र को 10,500 क्यूसेक पानी दिया जा रहा।