F-35: सिर्फ खास दोस्तों को देता है US

अमेरिकी: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को पांचवीं पीढ़ी का F-35 लड़ाकू विमान बेचने का ऑफर दिया है. यह दुनिया के चुनिंदा 5th-Gen जेट्स में से एक है. अमेरिका अपना यह ‘बाहुबली’ जेट हर किसी को नहीं देता. इसे सिर्फ खास दोस्तों के लिए रिजर्व रखा गया है. अब ट्रंप F-35 भारत को देना चाहते हैं तो यह जान लेना भी जरूरी है कि अभी तक कौन-कौन से देशों के पास यह लड़ाकू जेट मौजूद है.

F-35 फाइटर जेट को अमेरिकी कंपनी Lockheed Martin ने डेवलप किया है. F-35 लाइटनिंग II को दुनिया के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स में से एक माना जाता है. यह जेट एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी, सुपीरियर सिचुएशनल अवेयरनेस और नेटवर्क-कैपेबल कॉम्बैट सिस्टम से लैस है, जो इसे दुश्मन के रडार से बचाते हुए सुपरसोनिक स्पीड से ऑपरेट करने की क्षमता देता है.

अमेरिका ने चुनिंदा देशों को ही F-35 जेट्स बेचे हैं. अब तक सिर्फ 19 देशों (ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फिनलैंड, ग्रीस, जर्मनी, इजरायल, इटली, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम) ने इन जेट विमानों का ऑर्डर दिया है या उनका इस्तेमाल कर रहे हैं. लॉकहीड मार्टिन हर साल लगभग 150 F-35 का प्रोडक्शन करती है.

F-35 का कॉकपिट डिजाइन अलग है. अन्य फाइटर जेट्स की तरह इसमें पारंपरिक गौजेस या स्क्रीन नहीं हैं, बल्कि इसमें लार्ज टचस्क्रीन डिस्प्ले और हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम (HMD) दिया गया है. इसमें डिस्ट्रिब्यूटेड अपर्चर सिस्टम (DAS) है जिसमें छह इंफ्रारेड कैमरे लगे हैं, जो पायलट को विमान के आर-पार देखने की क्षमता देते हैं. यह जेट बिना अपनी स्टील्थ क्षमताओं को कम किए भारी मात्रा में हथियार ले जा सकता है. यह जेट अन्य मित्र देशों के विमानों और ग्राउंड सिस्टम के साथ डेटा शेयरिंग और कोऑर्डिनेटेड ऑपरेशन कर सकता है.

US के F-35 का मुकाबला चीन के Chengdu J-20 और रूस के Sukhoi-57 से होता है. चीन ने भारत के पास वाली एयरफील्ड्स में J-20s उतारे हैं और पाकिस्तान को भी बेचने की तैयारी में है. ऐसे में भारतीय वायुसेना के लिए F-35 किसी ‘ब्रह्मास्त्र’ से कम नहीं.

अगर भारत F-35 फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बनाता है, तो इससे भारतीय वायुसेना (IAF) को स्टील्थ टेक्नोलॉजी में बड़ा फायदा मिल सकता है. यह जेट दुश्मन के रडार को चकमा देकर ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है और युद्ध में भारतीय वायुसेना को एडवांटेज देगा. F-35 को खरीदना, ऑपरेट करना और मेंटेनेंस करना बेहद महंगा सौदा साबित हो सकता है. इसकी कीमत सिर्फ खरीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके रखरखाव, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और लॉजिस्टिक्स को भी ध्यान में रखना होगा.

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