साहिबाबाद। सावन माह में प्रतिवर्ष भोले के भक्त कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार और गढ़मुक्तेश्वर के लिए जाते हैं। कांवड़ यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए एनसीआर के जिलों में प्रशासन रूट डायवर्जन के साथ ही तमाम मार्गों पर भारी वाहनों को प्रतिबंधित कर देता है। इससे न सिर्फ रोजाना आने-जाने वाले नौकरी पेशा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि उद्योग धंधे, बच्चों की पढ़ाई और व्यवसाय पर भी असर पड़ता है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (डीएमई) व ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) के निर्माण और राष्ट्रीय राजमार्ग-नौ (एनएच-नौ) के चौड़ीकरण के बाद यह उम्मीद जगी थी कि साल-दर साल होने वाली इस परेशानी से लोगों को निजात मिलेगी, लेकिन अफसर ऐसा कोई विकल्प तलाश नहीं सके, जिससे आम लोगों का जनजीवन प्रभावित हुए बिना भोले के भक्तों की यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराया जा सके।
फिलहाल जिम्मेदारी अधिकारी गाजियाबाद के मुरादनगर से मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच बनाए जा रहे कांवड़ मार्ग से ही इस समस्या के समाधान का दावा कर रहे हैं। कांवड यात्रा के दौरान 15 दिन के लिए होने वाले रूट डायवर्जन से एनसीआर के लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर पेश है, अवनीश मिश्र की रिपोर्ट –
गाजियाबाद: 22 जुलाई की रात 12 बजे से ही भारी वाहनों का डीएमई सहित 12 मार्गों पर डायवर्जन लागू किया गया है, जो पांच अगस्त की रात आठ बजे तक रहेगा। 27 जुलाई की रात 12 बजे से हल्के वाहन जैसे चार पहिया निजी व व्यावसायिक वाहन व तीन पहिया वाहनों का भी जीटी रोड सहित 12 रूटों पर डायवर्जन कर दिया गया। डीएमई पर रविवार आधी रात से हल्के वाहन भी पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएंगे।
22 जुलाई से चार अगस्त तक सेक्टर-14ए चिल्ला बॉर्डर से होते हुए ओखला बर्ड सेंचुरी मार्ग तक वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी।शुक्रवार से दिल्ली कालिंदी कुंज से ओखला बर्ड सेंचुरी तक एक लेन बंद कर दी गई है। कालिंदी कुंज, डीएनडी, चिल्ला बॉर्डर, छिजारसी, मॉडल टाउन के पास यातायात कर्मी तैनात हैं।कांवड़ का जत्था गुजरने के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मी यातायात को रोककर कांवड़ियों को सड़क पार कराते हैं।
22 जुलाई से तीन अगस्त की रात 10 बजे तक आठ रूटों पर भारी वाहनों के लिए डायवर्जन लागू किया गया है।
25 अगस्त से हल्के वाहनों का भी रूट डायवर्जन हो गया है।दिल्ली-देहरादून हाईवे, गढ़ रोड, हापुड़ रोड, दिल्ली रोड, रुड़की रोड पर रूट डायवर्ट किया जाता है।पिछले साल की तरह इस बार भी डीएमई को वाहनों के लिए प्रतिबंधित करने की तैयारी है।मेरठ के एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा ने कहा है कि कांवड़ियों की संख्या बढ़ने पर डीएमई को बंद करने के बारे में विचार करेंगे।
गाजियाबाद व कौशांबी डिपो की ये बसें अलग-अलग मार्गों से गंतव्य के लिए जाएंगी। 30 से 70 रुपये तक किराया गाजियाबाद व कौशांबी डिपो की बसों में डायवर्जन की वजह से बढ़ गया है, जिसका असर यात्री पर पड़ेगा 40 रुपये तक किराये में वृद्धि नोएडा डिपो की बसों में रूट डायर्वट होने की वजह से हो गई है 408 बसों का रूट मेरठ डिपो ने बदला है।
भैंसाली बस डिपो को बंद कर दिया गया है। दिल्ली और हरिद्वार की बसों का संचालन सोहराब गेट डिपो से किया जा रहा है। 154 से 162 रुपये तक अधिक किराया मेरठ से दिल्ली जाने वाली बसों में यात्रियों को देना पड़ रहा है 47 रुपये अधिक किराया मेरठ से लखनऊ जाने वाले यात्रियों को डायवर्जन के चलते चुकाना पड़ रहा.पूर्वी दिल्ली से ज्यादातर कांवड़िये गुजरते हैं। यहां रूट डायवर्जन के बजाय सड़क पर बैरियर व रस्सी बांधकर कांवड़ियों की अलग लेन बना दी जाती है। वह उसी लेन से गुजरते हैं। इससे सड़क पर यातायात भी चलता रहता है। हालांकि सड़क की चौड़ाई कम हो जाने से जाम की स्थिति बनती है।
400 बसों का रूट बदल दिया गया है, गाजियाबाद व कौशांबी डिपो की ये बसें अलग-अलग मार्गों से गंतव्य के लिए जाएंगी।30 से 70 रुपये तक किराया गाजियाबाद व कौशांबी डिपो की बसों में डायवर्जन की वजह से बढ़ गया है, जिसका असर यात्री पर पड़ेगा।40 रुपये तक किराये में वृद्धि नोएडा डिपो की बसों में रूट डायर्वट होने की वजह से हो गई है।408 बसों का रूट मेरठ डिपो ने बदला है, भैंसाली बस डिपो को बंद कर दिया गया है। दिल्ली और हरिद्वार की बसों का संचालन सोहराब गेट डिपो से किया जा रहा है।
154 से 162 रुपये तक अधिक किराया मेरठ से दिल्ली जाने वाली बसों में यात्रियों को देना पड़ रहा है।47 रुपये अधिक किराया मेरठ से लखनऊ जाने वाले यात्रियों को डायवर्जन के चलते चुकाना पड़ रहागाजियाबाद में 29 जुलाई से दो अगस्त तक स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे। गौतमबुद्ध नगर में दो अगस्त को स्थानीय अवकाश घोषित होने की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद रहेगे। हापुड़ में बृहस्पतिवार से दो अगस्त तक स्कूल-कॉलेज बंद हैं।
गाजियाबाद के मुरादनगर से मुजफ्फरनगर के पुरकाजी तक कांवड़ मार्ग का निर्माण चल रहा है। मार्ग में पड़ने वाले पेड़ों को लेकर मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में जाने से काम में देरी हो रही है।लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि करीब सालभर में मार्ग बन जाएगा। यदि ऐसा हो जाता है तो अगले साल रूट डायवर्जन करने की स्थिति नहीं बनने की संभावना है, क्योंकि कांवड़िये इसी मार्ग पर चलेंगे। अन्य मार्ग खाली रहेंगे।
गाजियाबाद के उद्यमियों के मुताबिक जिले में कांवड़ यात्रा के लिए पहली बार वर्ष 1995 में रास्ते दो दिन के लिए बंद किए गए थे। उद्यमियों ने जिला प्रभारी मंत्री असीम अरुण, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष कांवड़ यात्रा के सफल आयोजन के साथ उद्योगों को भी राहत देने से संबंधित सुझाव रखे थे।
उन्होंने उत्पाद व कच्चे माल से संबंधित वाहनों को देर रात औद्योगिक क्षेत्र में आवाजाही की अनुमति देने और कांवड़ियों की संख्या बढ़ने पर बड़े वाहनों को प्रतिबंधित किए जाने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे कच्चे माल मंगाने और तैयार माल को बाहर भेजने में उद्यमियों को परेशानी होती है।
इसके साथ ही कर्मचारियों को भी दफ्तर पहुंचने में परेशानी होती है। इसमें गाजियाबाद और मेरठ जिले के उद्यमियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। गौतमबुद्ध नगर के उद्योगों का रूट डायवर्जन का खास असर नहीं होता है।गाजियाबाद जिले में 15 दिन में 200 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होने का दावा उद्यमी कर रहे हैं। वहीं 25 करोड़ रुपये का कारोबार मेरठ में इन 15 दिन में प्रभावित होने का दावा आइआइए के पदाधिकारियों ने किया है।