ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में एक निजी हाई स्कूल के कुछ लड़कों को इसलिए स्कूल से निलंबित कर दिया गया क्योंकि वे अपने साथ पढ़ रही लड़कियों की ‘स्प्रैडशीट पर रैंकिंग’ कर रहे थे. विक्टोरिया राज्य की मुख्यमंत्री ने इस कृत्य को “अपमानजनक और घृणित” बताते हुए कहा है कि इससे उन्हें बहुत आघात लगा है.
मेलबर्न के रिंगवुड कस्बे में यारा वैली ग्रामर स्कूल के तीन छात्रों को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने एक स्प्रैडशीट बना रखी थी जिसमें साथ पढ़ने वाली लड़कियों की तस्वीरें लगाकर सामने टिप्पणियां की गई थीं.मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उन्होंने लड़कियों पर बेहद अभद्र टिप्पणियां लिखी थीं. ये टिप्णियां उनकी रैंकिंग के हिसाब से की गई थीं, जैसे “पत्नी बनाने लायक”, “प्यारी”, “ठीकठाक”, “चीज”, “दफा करो”, “रेप लायक भी नहीं.”
स्कूल के प्रिंसिपल मार्क मेरी ने कहा कि इस डॉक्युमेंट के स्क्रीनशॉट इंटरनेट पर शेयर किए गए थे और स्कूल के स्टाफ ने उन्हें देखा, जिसके बाद कार्रवाई की गई. उन्होंने कहा कि जिस तरह की टिप्पणियां की गई हैं उनसे वह ‘बेहद गुस्से और सदमे में हैं.‘
एबीसी न्यूज से बातचीत में मार्क मेरी ने कहा, “जब मुझे इसके बारे में बताया गया, तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि कोई भी, एक तो लड़कियों को इस तरह ऑब्जेक्टिफाई कर सकता है, वो भी अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों को. और दूसरा कि कोई इतना क्रूर हो सकता है.” उन्होंने कहा कि वह घटना की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
विक्टोरिया की मुख्यमंत्री जसिंटा ऐलन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के बारे में इतनी बहस हो रही है, तब ऐसा होना बेहद शर्मनाक है. ऐलन ने कहा, “रिंगवुड के स्कूल में व्यवहार के बारे में जो खबरें आई हैं, वे शर्मनाक, घिनौनी और किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं.”
उन्होंने कहा कि जिन लड़कियों को उस डॉक्युमेंट में निशाना बनाया गया है, उससे उन्हें ‘बहुत बड़ा आघात‘ पहुंचा है. उन्होंने कहा, “यह सोचना कि आप जिस क्लास में बैठी हैं, वहां आपके सहपाठी आपके बारे में ना सिर्फ ऐसा सोचते हैं बल्कि उसे लिखकर दूसरों के साथ बांटते हैं. यह कोई मजाक नहीं है. महिलाओं का सम्मान हर क्लास, हर घर और हमारे समाज के हर हिस्से की प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं हिंसा का शिकार हो रही हैं, बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी जान गंवा रही हैं.”
इसी महीने ऑस्ट्रेलिया के बड़े शहरों में हजारों लोगों ने महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इसके बाद देश के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने कहा था यह “राष्ट्रीय संकट” बन चुका है.2.7 करोड़ की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया में इस साल यानी चार महीनों में 28 महिलाओं की हत्याएं हो चुकी हैं और यह सिलसिला साल दर साल बढ़ता चला जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं के खिलाफ उनके जीवनसाथी द्वारा हिंसा के मामले पिछले कई साल से चिंता का विषय बने हुए हैं. सालाना औसत बताती है कि हर 11 दिन में एक महिला की हत्या हो जाती है. लेकिन हत्या के अलावा भी हिंसा का संकट बहुत बड़ा हो चुका है.
देश के सांख्यिकी ब्यूरो (ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स) के आंकड़ों के मुताबिक 2013 से 2023 के बीच पुरुषों द्वारा हत्या के मामलों में तो 16 फीसदी की कमी देखी गई लेकिन घायल करने की दर 20 फीसदी बढ़ गई. इसी तरह यौन हिंसा के मामलों में 50 फीसदी की वृद्धि हुई. शोषण और अपहरण के मामले 18 फीसदी बढ़े.
इस माहौल में मेलबर्न के स्कूल की घटना को बहुत से विशेषज्ञ एक सामाजिक समस्या के रूप में देख रहे हैं. देश के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि अभी बहुत सा काम करना बाकी है. यह काम सिर्फ स्कूलों का नहीं है बल्कि माता-पिता और मेरे जैसे राजनेताओं का भी है.