देहरादून :राजधानी देहरादून की आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए प्रदेश में सबसे पहले दून में डीजल सिटी बसें और विक्रम चलन से बाहर होंगे। डीजल सार्वजनिक यात्री वाहनों के संचालकों को नई सीएनजी-इलेक्टि्रक या स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन से संचालित बस खरीदने के लिए अनुदान सबसे पहले दून में मिलेगा। इसके बाद यह प्रयोग पूरे प्रदेश में किया जाएगा। अनुदान योजना को लेकर दून के सिटी बस और विक्रम संचालकों ने खुशी जाहिर की है।
देहरादून में लंबे समय से डीजल चलित सार्वजनिक सवारी वाहनों को शहर से बाहर के रूटों पर चलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब तक परिवहन विभाग विक्रमों को शहर से बाहर नहीं कर सका है। उधर शहर के रूटों का परमिट होने के कारण सिटी बसों को भी शहर से बाहर करना संभव नहीं है।
ऐसे में सिटी बस और विक्रम संचालकों को अनुदान देकर सीएनजी-इलेक्टि्रक वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना ही एकमात्र विकल्प था। पिछले कई सालों से यह मांग भी की जा रही थी कि अगर सरकार डीजल वाहनों को चलन से बाहर करना चाहती है तो अनुदान स्कीम लेकर आए, ताकि नए वाहन खरीदने में आसानी हो।
बृहस्पतिवार को सरकार की ओर से स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत अनुदान योजना को मंजूरी दी गई। इसमें सिटी बस और विक्रमों के लिए एक समान प्रावधान किया गया। कहा गया कि सिटी बस या विक्रम के परमिट को सरेंडर करने और वाहन स्क्रैप कराने का प्रमाण पत्र देने पर 25 से 32 सीट की नई सीएनजी या स्वच्छ ईंधन बस खरीदने के लिए वाहन लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा। वहीं वाहन को स्क्रैप किए बिना परमिट सरेंडर करने पर वाहन लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 12 लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा।
विक्रम संचालकों के लिए एक अन्य विकल्प भी खोला गया है। इसमें सीएनजी या वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली मैजिक को खरीदने के लिए विक्रम संचालकों को वाहन लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 3.5 लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा। यह व्यवस्था 1:1 के फार्मूले पर लागू की जाएगी।
सरकार बेशक दून की हवा को स्वच्छ बनाने की मंशा के साथ अनुदान योजना लेकर आई है, लेकिन इसके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। परिवहन विभाग भले ही सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने को लेकर नई नीति पर अमल करने जा रहा हो, लेकिन अगर पूरी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ही सीएनजी और इलेक्टि्रक वाहनों के भरोसे हा गई तो कई चुनौतियां झेलनी होंगी।
दून में अभी पांच सीएनजी पंप हैं, इनमें भी सीएनजी गैस टैंकरों से आती है। शहर की कारों को ही यहां से सीएनजी लेने के लिए लंबी कतार लगानी पड़ती है। ऐसे में अगर सैकड़ों नए वाहन आ गए तो काफी मुश्किल होगी। इसके लिए सरकार को बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा। नए सीएनजी पंप खोलने होंगे।
इलेक्टि्रक वाहनों के सामने और भी बड़ी चुनौती है। शहर में एक भी सरकारी इलेक्टि्रक चार्जिंग स्टेशन नहीं है। ऐसे में अगर विक्रम या सिटी बस संचालक इलेक्टि्रक वाहन की खरीद करना भी चाहें तो राह आसान नहीं होगी। शहर में कई विभाग इलेक्टि्रक चार्जिंग स्टेशन बनाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी स्टेशन बन नहीं पाया है।