बलूचिस्तान में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ ऐलान-ए-जंग

इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहे विद्रोही समूहों ने बड़ा फैसला लिया है। बलोच राजी आजोई संगर (ब्रास, BRAS) की बैठक में सभी बलूच समूहों ने फैसला लिया है कि एकजुट होकर पाकिस्तान की सरकार और आर्मी के खिलाफ लड़ा जाएगा।

बैठक में हिस्सा लेने वाले गुटों में बलूच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स और सिंधी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन, सिंधु देश रिवोल्यूशनरी आर्मी शामिल हैं। ये गुट लंबे समय से पाकिस्तान की आर्मी और सरकार से लड़ रहे हैं। चीन की परियोजनाओं पर भी इन गुटों ने हमले किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान के विद्रोही गुटों के नेता तीन दिन तक चली ब्रास की बैठक में शामिल हुए, जो पाकिस्तानी आर्मी से लड़ने की योजना बनाने के लिए आयोजित की गई। बलूच गुटों का एकजुटता से लड़ने का फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ी मुश्किल का सबब बन सकता है।

बलूचिस्तान के कई क्षेत्रों में पहले से ही विद्रोही गुटों ने पाक सेना के पैर उखाड़े हुए हैं। इस नए फैसले से पाक सरकार के सामने बलूचिस्तान के अलग होने का भी खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे खतरे की बात हालिया समय में कुछ पाकिस्तान के नेता और एक्सपर्ट भी कह चुके हैं।

ब्रास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चीन या फिर कोई भी शक्ति पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर बलूच संसाधनों का दोहन ना कर सके। ब्रास ने बैठक में इस पर विचार किया है कि सैन्य और कूटनीतिक तौर पर कैसे आगे बढ़ना है। साथ ही बैठक में इस पर भी सहमति बनी कि पाक सेना के खिलाफ युद्ध ज्यादा आक्रमकता और मजबूती के साथ लड़ा जाएगा। ब्रास ने कहा कि सभी गुटों की एकजुटता से लड़ाई बलूचों की आजादी को वास्तविक बनाएगी।

बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है लेकिन यहां देश की दो प्रतिशत आबादी ही रहती है। बलूचिस्तान में लंबे समय से विद्रोह चल रहा है। जातीय बलूच अलगाववादी अधिक स्वायत्तता और क्षेत्र के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण चाहते हैं। बलूच कार्यकर्ताओं और नागरिकों के जबरन गायब होने और गैरकानूनी हिरासत में लिए जाने के आरोप भी यहां पाकिस्तान सेना पर लगते रहे हैं, जो स्थानीय लोगों की नाराजगी की वजह है।

बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तान के लिए नाराजगी नई नहीं है लेकिन हालिया समय में ये बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह क्षेत्र में चीन के प्रोजेक्ट हैं। बलूच लोगों को लगता है कि चीन उनके संसाधनों को लूट रहा है, जिसमें पाकिस्तान उसकी मदद कर रहा है।

इससे हिंसा बढ़ रही है, इसकी वजह से अफगानिस्तान बॉर्डर के पास का ये पहाड़ी इलाका पाकिस्तान सुरक्षाबलों की पकड़ से निकलता दिख रहा है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (संसद) के सदस्य मौलाना फजलुर्रहमान तो यहां तक कह चुके हैं कि बलूचिस्तान प्रांत का एक हिस्सा अपनी आजादी का ऐलान कर सकता है।

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