नई दिल्ली:दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामलों के बढ़ने की खबरें हैं। यूके-यूएस से लेकर सिंगापुर सहित कई अन्य देशों में कोरोना के ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स के कारण अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ी है।
वैरिएंट्स के प्रारंभिक अध्ययनों में पाया गया है कि नए वैरिएंट्स के कारण गंभीर रोगों का जोखिम कम है, हालांकि इसकी संक्रामकता दर अधिक हो सकती है जिसके कारण तेजी से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है। सभी लोगों को कोरोना के इन नए वैरिएंट्स से बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, महामारी के बाद दुनियाभर में वैक्सीनेशन की दर बढ़ी है, ज्यादातर लोगों में प्राकृतिक संक्रमण से भी कोरोना के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है, जिससे संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग होने का खतरा कम हो जाता है।नए वैरिएंट्स के जोखिमों को देखते हुए वैक्सीनों को भी अपडेट किया गया है, जिससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। नए वैरिएंट्स से बचाव के लिए क्या हम सभी को फिर से एक बूस्टर वैक्सीन की जरूरत होगी? आइए जानते हैं।
कोरोना के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए अमेरिका में अब तक 70 लाख से अधिक लोगों को अपडेटेड वैक्सीन दी जा चुकी है। अध्ययनकर्ता कहते हैं, अपडेटेड वैक्सीन नए वैरिएंट्स के कारण होने वाले संक्रमण और इसकी गंभीरता को कम करने में मददगार हो सकती हैं। नए वैरिएंट्स में अतिरिक्त म्यूटेशन देखे गए हैं, जो इसे पहले से शरीर में बनी प्रतिरक्षा को चकमा देने में मदद करती है। तो क्या कोरोना से बचाव के लिए सभी लोगों को इन अपडेटेड वैक्सीन की जरूरत है?
विशेषज्ञों का कहना है नए वैरिएंट्स की प्रकृति गंभीर रोगकारक नहीं है। किन्हें इन शॉट्स की आवश्यकता है, ये आपके स्वास्थ्य की स्थिति, रिस्क टॉलरेंस, पिछले संक्रमण का समय और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। अपेडेटेड वैक्सीन मुख्यरूप से XBB.1.5 वैरिएंट को लक्षित करती है, हालांकि ये वैरिएंट अब ज्यादा प्रचलन में नहीं है और इसके कई म्यूटेटेड सब-वैरिएंट्स आ चुके हैं।
अपडेटेड टीके म्यूटेटेड वैरिएंट्स की प्रभाविकता को कम करने में सहायक हैं। हालांकि सभी लोगों को नए बूस्टर शॉट्स की जरूरत नहीं है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना के नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण और गंभीर रोग होने का सबसे अधिक जोखिम कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में देखी जा रही है। कुछ लोगों को ये टीके दी जी सकती है।
आमतौर पर, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अपेडेटेड वैक्सीन की जरूरत हो सकती है। मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपडेटेड टीके दिए जाने चाहिए। यदि आप ऐसी दवाएं ले रहे हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं (जैसे रूमेटोइड आर्थराइटिस या अंग प्रत्यारोपण के बाद की दवाएं) ऐसे लोगों को भी बूस्टर वैक्सीन लेनी चाहिए।
हार्वर्ड टी.एच चेन में महामारी और प्रतिरक्षा विज्ञानी डॉ. माइकल मीना कहती हैं, वर्तमान टीके लगभग तीन महीने तक ही सभी संक्रमणों से सुरक्षा देने में प्रभावी हो सकती हैं। इम्युनोकंप्रोमाइज्ड (प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी) लोगों को संक्रमण के जोखिमों से बचाने में ये टीके सहायक हैं, हालांकि सभी लोगों को इनकी जरूरत नहीं है।