नई दिल्ली: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया है. शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश की सेना (Bangladesh Army) ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है. बांग्लादेश का घटनाक्रम भारत के लिए बहुत अहम है.
बांग्लादेश भारत का मित्र देश है और शेख हसीना सरकार से भारत के काफी अच्छे संबंध रहे हैं. हालांकि बांग्लादेश में तख्तापलट और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भारत को बेहद चौकन्ना रहने की जरूरत है. भारत के आसपास कई पड़ोसी देश राजनीतिक और आर्थिक तौर पर अस्थिर हैं और इसका असर भारत पर भी पड़ता है.
पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि बांग्लादेश में इस्लामिक रेडिकलाइजेशन बढ़ रहा है और वहां की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन सिर्फ बहाना था. बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रिजर्वेशन तो हट गया था, लेकिन कुछ विदेशी ताकतों ने यह शुरू किया क्योंकि शेख हसीना मजबूत शासक हैं.
वह किसी की बात को नहीं सुनती हैं और वह वही करती हैं, जो उनके लिए देश के लिए बेहतर होता है.दीपक वोहरा ने बांग्लादेश संकट को लेकर कहा कि यह कहना कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है, ऐसा नहीं है, हमें ऐसे मामलों का काफी तजुर्बा है.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हमारी ब्रांड इक्विटी बहुत ही गहरी है. हमने बांग्लादेश की काफी मदद की है. हमने वहां पर इंवेस्टमेंट किया है, उन्हें लोन दिए हैं. उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि बांग्लादेश में जो भी सरकार आएगी वो भारत के साथ डील करेगी और वो हमें निराश नहीं करेगी.
वहीं जेएनयू के प्रोसेफर संजय भारद्वाज ने पड़ोसियों के साथ भारत के तीन उद्देश्य बताए हैं, इनमें सुरक्षा, विकास और राजनीतिक स्थिरता को बताय है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा में आतंकवाद, फंडामेंटलिज्म और इंसर्जेंसी है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को खालिदा जिया की सत्ता के वक्त उग्रवादियों ने अपना गढ़ बनाया था. उल्फा उग्रवादी बांग्लादेश में थे और कट्टरवाद बांग्लादेश से पनप रहा था. साथ ही उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका जैसी बाहरें ताकतें वहां पर काफी मजबूत थीं.
उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने भारत के डवलपमेंट से जुड़ी चिंताओं को बखूबी समझा था. उन्होंने कहा कि साउथ ईस्टर्न एशिया सब रीजन जिसमें चाहे बंगाल हो या नॉर्थ ईस्ट हो या बांग्लादेश हो. उसे मिलकर डवलप करने पर सहमति बनी थी और उस विकास को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच व्यापक विकास समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे.
उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी चिंता राजनीतिक स्थिरता है, अगर राजनीतिक अस्थिरता होती है तो कट्टरवाद बढ़ता है या अल्पसंख्यकों को समस्या होती है. इसके कारण भारत में प्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि वहां पर जो भी सामान जाता है, वो बांग्लादेश में महंगाई को कम करता है. भारत से अगर यह व्यापार बंद कर दिया जाए तो वहां पर महंगाई 30 फीसदी तक बढ़ जाएगी.
वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी ने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऐलान किया था कि तीस्ता डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भारत को दिया जाएगा, चीन को नहीं. उन्होंने कहा कि चीन के वहां पर आने से भारत को आपत्ति थी और यदि चीन को यह प्रोजेक्ट मिलता तो चीन, भारत की चिकन नेक के पास आ जाता. उन्होंने कहा कि इसलिए चीन नाराज है.
उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के साथ नया रेल कॉरिडोर बनाया, जिससे हम नॉर्थ ईस्ट तक जा सकते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि बीएनपी ने ऐलान किया था कि भारत की रेल को वहां से चलने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि इनका मकसद पूरा हुआ. लाहिड़ी ने कहा कि यह होने के बाद आज नॉर्थ ईस्ट के लिए चिंता की स्थिति बन गई है.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. यह भारत के लिए चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि भारत को वहां पर जो भी सरकार बने, उसे कड़ा संदेश देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर शरणार्थी ज्यादा संख्या में आते हैं तो भारत को सोचना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि शेख हसीना के भारत के दौरे के बाद रणनीतिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को हुआ था तो वो चीन था. शेख हसीना ने चीन के मंसूबों को पूरा नहीं करने दिया था. उन्होंने कहा कि आज जो घटना हुई है, उसका लाभ चीन को मिला है.