महाराणा प्रताप के वंशज का राजतिलक, पत्थरबाजी, पुलिसकर्मी घायल

उदयपुर:उदयपुर में सिटी पैलेस के बाहर देर रात तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। यहां मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों को प्रवेश नहीं करने दिया गया। इसके बाद देर रात सिटी पैलेस के अंदर से पथराव हुआ।

मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार को उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ की चित्तौड़ के किले में परंपरा के अनुसार राजतिलक की रस्म हुई। मेवाड़ के 77वें दीवान के रूप में राजगद्दी पर आसीन हुए विश्वराज सिंह मेवाड उदयपुर के सिटी पैलेस में स्थित धूणी के दर्शन करने पहुंचे। हालांकि लेकिन उन्हें देर रात तक दर्शन नहीं करने दिया गया।

दरअसल मेवाड़ में परंपरा रही है कि नए दीवान के राजगद्दी पर आसीन होने के बाद धूणी के दर्शन करने किए जाते हैं। इसके बाद एकलिंग जी के दर्शन कर शोक को भंग किया जाता है, लेकिन सिटी पैलेस पर महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट का आधिपत्य होने की वजह से विश्वराज सिंह मेवाड़ को दर्शन के लिए रोका गया।

बता दें कि एक दिन पहले ही विधि अनुसार नोटिस जारी कर दोनों जगह पर अनाधिकृत लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। इस नोटिस के बाद मेवाड़ के 16 ठिकानों के ठिकानेदारों ने इसे अपमान बताया।

सोमवार को जब सिटी पैलेस में दर्शनों के लिए विश्वराज सिंह मेवाड़ अपने समर्थकों के साथ जाने लगे तो उन्हें रोक दिया गया। इसके बाद लगातार समझाइस का दौर चला, लेकिन समझौता नहीं हो सका। देर रात को सिटी पैलेस के अंदर से विश्वराज सिंह मेवाड़ के समर्थकों और प्रशासन के बीच झड़प हुई। इस दौरान पत्थरबाजी भी की गई। पत्थरबाजी की वजह से एक पुलिसकर्मी भी घायल हो गया। वहीं इस घटना के दौरान विश्वराज सिंह मेवाड़ के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की।

बता दें कि महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपरा निभाने से रोकने के लिए सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए हैं। विश्वराज सिंह को परंपरा के तहत धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस में जाना था।

माहौल नहीं बिगडे इसके लिए जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और एसपी योगेश गोयल सिटी पैलेस पहुंचे। दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश की गई लेकिन दोनों अपनी बात पर अड़े रहे। ऐसे में अंत में तीन गाड़ियों को अंदर ले जाने की अनुमति मिली।

इससे पहले, चित्तौड़गढ़ में विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई। लोकतंत्र आने के बाद राजशाही खत्म हो गई है, लेकिन प्रतीकात्मक यह रस्म निभाई जाती है। सोमवार को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर (रस्म) कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक की रस्म हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *