वाशिंगटन/इस्लामाबाद. चीन की 3 और बेलारूस की एक कंपनी को पाकिस्तान की गुपचुप मदद करना भारी पड़ा है. अमेरिका ने पाकिस्तान को लंबी दूरी की मिसाइल सहित बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए उपकरणों की सप्लाई करने के आरोप में इन पर बैन लगा दिया है. चीन, पाकिस्तान का ‘सदाबहार दोस्त’ है. वह पाकिस्तान के महत्वाकांक्षी सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिए हथियारों और रक्षा उपकरणों का मुख्य सप्लायर रहा है.
अमेरिका ने चीन की जिन तीन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें शियान लॉन्गडे टेक्नोलॉजी डेवलेपमेंट, तियानजिन क्रिएटिव सोर्स इंटरनेशनल ट्रेड और ग्रानपेक्ट कंपनी लिमिटेड शामिल है. जबकि बेलारूस के मिंस्क व्हील ट्रैक्टर प्लांट पर प्रतिबंध लगाया गया है.
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने शुक्रवार को कहा कि ये कंपनियां ऐसी गतिविधियों या लेन-देन में लिप्त पाई गई हैं, जिन्होंने सामूहिक विनाश के हथियारों या उनके वितरण के साधनों के प्रसार में भौतिक रूप से योगदान दिया है या जोखिम पैदा किया है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा निर्माण, अधिग्रहण, स्वामित्व, विकास, परिवहन में सहयोग शामिल हैं.
अमेरिका के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, ‘हम निर्यात नियंत्रण के राजनीतिक उपयोग को अस्वीकार करते हैं.’ बलोच ने कहा, ‘यह सर्वविदित है कि उन्हीं न्यायाधिकार क्षेत्रों ने, जो परमाणु अप्रसार नियंत्रणों का कड़ाई से पालन करने का दावा करते हैं, कुछ देशों के लिए उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों के लिए लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को माफ कर दिया है.’
वह स्पष्ट रूप से अमेरिका द्वारा भारत जैसे देशों को अत्याधुनिक हथियारों के निर्यात की अनुमति देने का जिक्र कर रही थीं. बलोच ने इस्लामाबाद में कहा, ‘इस तरह के भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण और दोहरे मानदंड सैन्य विषमताओं को बढ़ाकर परमाणु अप्रसार प्रशासन की विश्वसनीयता और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और सुरक्षा के उद्देश्यों को कमतर कर रहे हैं.’