रियाद: सऊदी अरब की तरफ से एक इस्लामिक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक कुछ अरब देश इजरायल की तरफ से गाजा पर हुए हमले को दी गई प्रतिक्रिया पर बंटे हुए हैं। द न्यू अरब की अरबी भाषा की वेबसाइट अल-अरबी अल-जदीद की एक रिपोर्ट के अनुसार, अरब लीग के देशों में कई महत्वपूर्ण विचारों पर मतभेद थे। ये विचार गाजा पर इजरायल के हमले से जुड़े थे जिन्हें संयुक्त जवाब में अपनाया नहीं जा सका। इस असहमति के चलते इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और अरब लीग के शिखर सम्मेलन का विलय हो गया
सऊदी विदेश मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार देर रात घोषणा की गई थी कि दो आपातकालीन बैठकें शनिवार को रियाद में एक संयुक्त शिखर सम्मेलन के रूप में आयोजित की जाएंगी। सऊदी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘गाजा में असाधारण परिस्थितियां हैं इनके जवाब में और अरब लीग के अलावा इस्लामिक सहयोग संगठन के परामर्श के बाद, रियाद में एक असाधारण संयुक्त अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया।’
बताया जा रहा है कि जिन मुद्दों पर मतभेद थे उनमें इजरायल को हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई के लिए अरब देशों में अमेरिका और बाकी सैन्य अड्डों के उपयोग पर रोक लगाना शामिल है। साथ ही इजरायल के साथ अरब राजनयिक, आर्थिक, सुरक्षा और सैन्य संबंधों पर रोक लगाना और दबाव बनाना भी शामिल था। साथ ही जारी आक्रामकता को रोकने के लिए तेल और अरब आर्थिक क्षमताओं का लाभ उठाने की धमकी भी दी गई है।
लीबिया की तरफ से प्रस्ताव दिया गया कि सम्मेलन के आखिर बयान में फिलिस्तीनियों को इजरायली कब्जे का विरोध करने वाले संयुक्त बयान में शामिल होना चाहिए। इन कदमों का फिलिस्तीन, सीरिया, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, इराक, लेबनान, कुवैत, कतर, ओमान, लीबिया और यमन सहित 22 सदस्यीय निकाय के 11 अरब देशों ने या तो प्रस्ताव दिया या फिर उनका समर्थन किया। जिन चार देशों ने विरोध में मतदान किया और जो अनुपस्थित रहे, उनका खुलासा नहीं किया गया।
सऊदी राजधानी में अरब लीग और ओआईसी की इमरजेंसी मीटिंग गाजा पट्टी पर इजरायल के हवाई और जमीनी हमले के बाद हुई। इन हमलों में गाजा में 11000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जिनमें ज्यादातर नागरिक थे। इनमें से 4000 से ज्यादा बच्चे और 3000 से ज्यादा महिलाएं हैं। दोनों शिखर सम्मेलन अलग-अलग आयोजित करने की योजना बनाई गई थी।
लेकिन गुरुवार को आयोजित अरब लीग के सदस्यों के बीच इजरायल की तरफ से जारी युद्ध का जवाब देने के तरीकों पर मतभेद हो गया था। अल-अरबी अल-जदीद रिपोर्ट में कहा गया है कि अरब लीग में चार ‘प्रभावशाली देशों’ ने उन प्रस्तावों को अपनाने से रोक दिया था जो इजरायल के खिलाफ ठोस उपाय करते थे। इन देशों की तरफ से जो प्रस्ताव दिए गए थे वो काफी अस्पष्ट और गैर-प्रतिबद्ध थे।