अमरनाथ यात्रा:बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु

नई दिल्लीः बर्फानी बाबा की गुफा में आज से भक्तों का तांता देखने को मिलेगा. आज यानी 29 जून 2024, दिन शनिवार से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई है, जिसका समापन रक्षाबंधन पर होगा. हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक अमरनाथ में भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को बड़े ही दुर्गम रास्ते से होकर जाना पड़ता है क्योंकि ये यात्रा बहुत कठीन मानी जाती है. इस धार्मिक स्थल का महत्व और कथा के बारे में विस्तार से बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान शिव साक्षात अमरनाथ गुफा में विराजमान हैं. मान्यता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनके अमरत्व का कारण जानने की इच्छा जाहिर की तो भोलनाथ ने माता पार्वती से कहा कि इसके लिए आपको अमर कथा सुननी पड़ेगी. इस कथा को सुनने के लिए उन्होंने ऐसे स्थान की तलाश शुरू की, जहां कोई और इस अमर कथा को न सुन सके. तब भगवन शिव और माता पार्वती अमरनाथ गुफा पहुंचे.

गुफा जाते समय सबसे पहले उन्होंने पहलगाम में अपने नंदी का परित्याग किया. इसके बाद, चंदनवाड़ी में भगवान शिव ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को मुक्त किया. फिर शेषनाग नाम की झील के किनारे अपने गले से सांप को मुक्त किया. उसके बाद अपने पुत्र गणेश को महागुनस पर्वत पर छोड़ा. फिर भगवान शिव ने पंचतरणी नाम की जगह पर पंच तत्वों पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश का भी त्याग किया.

इन सभी को पीछे छोड़कर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया और वहां समाधि ली. गुफा के आसपास मौजूद हर जीव को नष्ट करने के लिए भगवान शिव ने कालाग्नि बनाई और उसे आग फैलाने का आदेश दिया, ताकि माता पार्वती के अलावा कोई और अमर कथा न सुन सके.

अब भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताना शुरू किया. इस दौरान अचानक आए कबूतर के एक जोड़े ने अमरत्व का रहस्य सुन लिया. इसके बाद ही कबूतर का ये जोड़ा अमरत्व को प्राप्त हो गया. आज भी कई तीर्थयात्री कबूतर के इस जोड़े को देखने का दावा करते हैं. आश्चर्य की बात तो ये है कि ये जोड़ा इतने ठंडे और ऊंचाई वाले क्षेत्र में कैसे जीवित रह सकते हैं.

हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल अमरनाथ हिमालय की पर्वत शृंखलाओं में स्थित है. इस गुफा को प्राचीन काल में ‘अमरेश्वर’ कहा जाता था. यहां बर्फ से शिवलिंग बनता है. यही कारण है कि इसे ‘बाबा बर्फानी’ के नाम से भी जाना जाता है. जो श्रद्धालु इस पवित्र गुफा में बने शिवलिंग का सच्चे मन से दर्शन करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है.

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